कोलकाता: सोशल मीडिया पर वायरल एक विवादित वीडियो को लेकर घिरी लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर Sharmistha Panoli को Kolkata High Court से अंतरिम जमानत मिल गई है। 22 वर्षीय शर्मिष्ठा पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का गंभीर आरोप लगा था, जिसके बाद उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हुई थी।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति राजा बसु की एकल पीठ ने शर्मिष्ठा को 10,000 रुपये के निजी मुचलके पर अंतरिम राहत दी, लेकिन साथ ही यह शर्त भी रखी कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, वह देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकेंगी। इसके लिए उन्हें संबंधित मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी।
वीडियो पोस्ट के बाद मिलीं जान से मारने की धमकियां
Sharmistha ने कोर्ट को बताया कि विवादित वीडियो पोस्ट करने के तुरंत बाद से उन्हें रेप और मर्डर की धमकियां मिलने लगीं। उन्होंने इस संबंध में Kolkata Police से सुरक्षा की मांग भी की, लेकिन उन्हें कोई ठोस सहायता नहीं मिली। उनका कहना है कि वीडियो पोस्ट करने का मकसद किसी की धार्मिक भावना को आहत करना नहीं था, बल्कि एक सामाजिक विमर्श की कोशिश थी।
अभिव्यक्ति की आज़ादी बनाम धार्मिक सहिष्णुता पर अदालत की टिप्पणी
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ किया कि भारत के संविधान में सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन इसका दुरुपयोग समाज के सामंजस्य को बिगाड़ सकता है। यह स्वतंत्रता अनुशासन में रहकर उपयोग की जानी चाहिए। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिए कि शिकायतों की निष्पक्ष जांच की जाए और जरूरत पड़ने पर सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए।
अभिव्यक्ति और संवैधानिक मर्यादा के बीच संतुलन की मिसाल
Sharmistha Panoli का मामला आज की डिजिटल पीढ़ी के लिए एक बड़ा उदाहरण बन गया है कि सोशल मीडिया पर किसी भी विषय पर बोलने से पहले जिम्मेदारी निभाना कितना ज़रूरी है। यह घटना अभिव्यक्ति की आज़ादी और धार्मिक सहिष्णुता के बीच संतुलन बनाए रखने की न्यायिक सोच को सामने लाती है।