गंडक नदी में छोड़े गए 174 घड़ियाल के बच्चे, ‘World Crocodile Day’ पर बिहार बना संरक्षण का नया केंद्र

गंडक नदी में घड़ियालों की संख्या हुई 775 के पार, वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और बिहार वन विभाग की बड़ी उपलब्धि

174 Baby Gharial Released Gandak River World Crocodile Day 2025
(Source: Google/Social Media Sites)
Highlights
  • वर्ल्ड क्रोकोडाइल डे पर 174 घड़ियाल बच्चों को गंडक नदी में छोड़ा गया
  • अब गंडक नदी में घड़ियालों की संख्या 775 के पार
  • संरक्षण प्रयासों से भारत में घड़ियालों की आबादी में हो रही है निरंतर वृद्धि

बगहा (Bihar):
‘वर्ल्ड क्रोकोडाइल डे 2025’ (World Crocodile Day 2025) के खास मौके पर बिहार के बगहा क्षेत्र में गंडक नदी (Gandak River) में 174 नन्हें घड़ियालों (Baby Gharials) को सुरक्षित रूप से छोड़ा गया। यह कार्यक्रम वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (Wildlife Trust of India) और बिहार वन विभाग (Forest Department of Bihar) की संयुक्त पहल का हिस्सा था, जो इस संकटग्रस्त प्रजाति को बचाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।


हर साल बढ़ रही है घड़ियालों की संख्या, संरक्षण प्रयास दे रहे हैं बेहतर परिणाम

वन विभाग की अधिकारी डॉ. नेशमणि के (Dr. Neshamani K) ने बताया कि यह अंडे धनहा-रतवल पुल (Dhanaha-Ratwal Bridge) के पास पाए गए थे। इन अंडों को सुरक्षित स्थान पर रखकर सेहतमंद बच्चों के रूप में फुलाया गया।
2023 में 125 और 2024 में 160 नन्हें घड़ियाल छोड़े गए थे। इस बार यह संख्या बढ़कर 174 हो गई है, जो संरक्षण कार्य की सफलता का स्पष्ट संकेत है।

गंडक नदी में अब कुल 775 से अधिक घड़ियाल मौजूद हैं, जिससे यह भारत की चंबल नदी (Chambal River) के बाद दूसरे नंबर की सबसे अहम घड़ियाल संरक्षण नदी बन गई है।


भारत में तीन प्रकार के मगरमच्छ, घड़ियाल सबसे अधिक संकट में

इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के सुब्रत के बेहेरा (Subrata K Behera) ने बताया कि भारत में तीन प्रकार के मगरमच्छ पाए जाते हैं—मश क्रोकोडाइल्स (Marsh Crocodiles), साल्टवॉटर क्रोकोडाइल्स (Saltwater Crocodiles) और घड़ियाल (Gharials)। इनमें घड़ियाल सबसे ज्यादा संकट में हैं, क्योंकि इनके प्राकृतिक आवास कम हो रहे हैं और अवैध शिकार की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।

1975 में केंद्र सरकार ने घड़ियालों के संरक्षण के लिए “क्रोकोडाइल कंजर्वेशन प्रोजेक्ट” (Crocodile Conservation Project) शुरू किया था। अब इन अंडों को नदी के किनारों पर रेत में छिपाया जाता है। जब बच्चे निकलते हैं, तो माँ की आवाज़ सुनकर वे खुद नदी की ओर चल पड़ते हैं — यह जीवन की एक भावुक और प्रेरणादायक झलक है।

नदी, माँ और नन्हें घड़ियाल – प्रकृति की नई कहानी

नेपाल से निकलकर बिहार में बहने वाली गंडक नदी अब सिर्फ एक जलधारा नहीं रही, बल्कि घड़ियाल संरक्षण का बड़ा केंद्र बन चुकी है। हर साल यहाँ सैकड़ों नन्हें घड़ियाल एक नई उम्मीद के साथ नदी की लहरों में समा जाते हैं, जो इंसान और प्रकृति के बीच के रिश्ते को मजबूत बनाते हैं।

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