बिहार में भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ एक बार फिर सोशल मीडिया के जरिए हुआ है। इस बार मामला है मद्य निषेध विभाग (Madhya Nishedh Vibhag) का, जहां एक सिपाही से सचिवालय में बैठे कर्मचारी ने खुलेआम 20 हजार रुपये की रिश्वत मांगी। बातचीत का ऑडियो-वीडियो वायरल हो चुका है, जिसमें रिश्वत की मांग और “ऊपर तक देना होता है” जैसी बातें सुनने को मिल रही हैं।
व्हाट्सऐप कॉल पर रिश्वत की सौदेबाज़ी
पटना सचिवालय में तैनात एक सरकारी बाबू ने Aurangabad में पोस्टेड एक सिपाही को व्हाट्सऐप कॉल कर 20 हजार रुपये की मांग की। बाबू ने कहा,
“दो का ऑर्डर देखा आपने? मेल भेज दिए हैं। सकलदेव और सूरज दोनों सस्पेंड हो गए। आपके वाले में खर्चा-पानी दे दिए थे, तो काम हो गया। अब 20 और भेज दीजिए। ऊपर तक देना होता है।”
इस पर सिपाही ने कहा कि 14 हजार पहले ही भेज दिए हैं, और 5-6 हजार और दे देगा। लेकिन बाबू ने साफ कहा कि “20 हजार से कम पर काम नहीं होगा। औरंगाबाद से चिट्ठी आई है, फिर भी आपको बचा कर रखा है। तुरंत भेजिए, नहीं तो मुश्किल हो जाएगी।”
प्रमोशन और सस्पेंशन के नाम पर उगाही
बातचीत में यह भी स्पष्ट होता है कि रिश्वत की मांग प्रमोशन बचाने और सस्पेंशन हटाने के नाम पर की जा रही थी। सचिवालय कर्मचारी ने कहा कि
“प्रमोशन का टाइम है, दो महीना सस्पेंड भी रह लिए, अब बस हो जाएगा। इसी के लिए पैसे चाहिए।”
सिपाही ने जब असमर्थता जताई तो बाबू ने सख्ती से पूछा, “कब देंगे पैसा? टाइम बताइए।” जवाब मिला—“एक घंटे में भेज देंगे सर।”
ऑडियो कॉल और भुगतान का सबूत भी मौजूद
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह पूरी व्हाट्सऐप कॉल खुद उस व्यक्ति ने रिकॉर्ड की है जिसने पैसे मांगे। इतना ही नहीं, PhonePe से भेजे गए 14 हजार रुपये का भी सबूत मौजूद है। यह वायरल ऑडियो-वीडियो अब बिहार की भ्रष्ट व्यवस्था की पोल खोल रहा है।
बड़ा सवाल: ‘ऊपर तक’ आखिर कौन हैं?
अब बड़ा सवाल यही है कि ये “ऊपर तक” पैसे कौन ले जा रहा है? क्या यह कोई ऑर्गनाइज्ड रिश्वत नेटवर्क है जो सचिवालय से लेकर फील्ड तक फैला है? अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच हो तो बिहार के कई विभागों में फैले भ्रष्टाचार के तार खुल सकते हैं।