पटना: बिहार की शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर उथल-पुथल के मुहाने पर खड़ी है। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने राज्य सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ने का ऐलान कर दिया है। संघ के महासचिव और पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने एलान किया है कि 25 जुलाई को राजधानी पटना स्थित विधानसभा के सामने हजारों शिक्षक एकजुट होकर धरना देंगे। इस धरने का उद्देश्य शिक्षकों की 9 प्रमुख मांगों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना है।
संघ की ओर से साफ कहा गया है कि अगर सरकार ने 21 जुलाई तक वार्ता की पहल नहीं की, तो यह आंदोलन सिर्फ धरना नहीं रहेगा, बल्कि एक आक्रोश रैली में तब्दील हो जाएगा, जिसकी चपेट में राज्य भर की शिक्षा व्यवस्था आ सकती है।
शिक्षकों की 9 मांगें बनीं आंदोलन की नींव
शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि बिहार के शिक्षक वर्षों से वेतन, स्थानांतरण, पदोन्नति और पेंशन जैसे जरूरी मुद्दों पर अनदेखी के शिकार हैं। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि शिक्षकों की जायज मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
संघ द्वारा उठाई गई मुख्य मांगे इस प्रकार हैं:
- पूर्व से कार्यरत शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों की सेवा में निरंतरता और पूर्व की वेतनवृद्धि को जोड़ा जाए।
- 15–18 वर्षों से कार्यरत नियोजित शिक्षकों को शीघ्र पदोन्नति दी जाए।
- विशिष्ट और विद्यालय शिक्षकों का ऐच्छिक स्थानांतरण जल्द किया जाए।
- महिला, दिव्यांग और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त शिक्षकों का स्थानांतरण नजदीकी विद्यालयों में किया जाए।
- HRMS पोर्टल पर वेतनवृद्धि, DA, HRA की दरों को जल्द अपडेट किया जाए।
- नव नियुक्त प्रधानाध्यापकों की पदस्थापना में देरी खत्म की जाए।
- पुस्तकालयाध्यक्षों को ई-शिक्षा कोष में लॉगइन पासवर्ड उपलब्ध कराया जाए।
- पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए।
- ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली में सुधार हो ताकि समय पर आने के बावजूद अनुपस्थित न दिखाया जाए।
सरकार पर बढ़ता दबाव, शिक्षक बोले – अब नहीं झुकेंगे
संघ की चेतावनी साफ है – यदि सरकार समय रहते संवाद नहीं करती, तो यह प्रदर्शन एक बड़े जनांदोलन का रूप ले लेगा। शिक्षक समाज अब संगठित हो चुका है और वह किसी भी कीमत पर अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं है।
राज्य सरकार के लिए यह आंदोलन Goal 2025 और Land1 2025 जैसे शिक्षा सुधार लक्ष्यों के लिए भी एक गंभीर चुनौती बनकर उभर सकता है।