पटना: मुजफ्फरपुर में मासूम बच्ची के साथ हुए बलात्कार के मामले पर अब बिहार के राज्यपाल Arif Mohammad Khan ने कड़ा रुख अपनाते हुए समाज को आईना दिखाया है। उन्होंने कहा है कि इस तरह के अपराधियों का केवल कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक बहिष्कार भी किया जाना चाहिए। उन्होंने यह बयान एक संवाददाता सम्मेलन में दिया, जिसमें उन्होंने मौजूदा कानून व्यवस्था और समाज की नैतिक जिम्मेदारी पर जोर दिया।
“कानून से ऊपर है नैतिकता” – Governor Arif Mohammad Khan
राज्यपाल Arif Mohammad Khan ने कहा, “कई लोग कहते हैं कि कानून काम नहीं कर रहा, लेकिन यह कहना गलत है। हम सरकार और कानून से जादू की उम्मीद नहीं कर सकते। कानून की अपनी सीमाएं हैं, लेकिन समाज की नैतिक जिम्मेदारी इससे कहीं ऊपर है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर ऐसे आरोपियों को समाज से अलग-थलग कर दिया जाए, तो वही उनके लिए सबसे बड़ा सुधार होगा।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए हैं 18 सख्त कानून
राज्यपाल ने कहा कि देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए पहले से ही 18 कठोर कानून मौजूद हैं। सवाल यह नहीं है कि और कानून चाहिए या नहीं, बल्कि यह है कि समाज इन कानूनों को लागू कराने में कितनी ईमानदारी दिखाता है। उन्होंने मीडिया से आग्रह किया कि यदि उन्हें लगता है कि किसी आरोपी को बचाया जा रहा है, तो उन्हें सामने लाकर एक्सपोज किया जाना चाहिए।
पीड़िता के परिवार से मिल सकते हैं राज्यपाल
राज्यपाल ने कहा कि वह पीड़िता के परिजनों से मिलने की योजना बना रहे हैं, लेकिन पहले यह देखना चाहेंगे कि इस पूरे मामले में राज्य सरकार ने अब तक क्या कार्रवाई की है। उन्होंने साफ किया कि यह केवल एक संवेदना भरा दौरा नहीं होगा, बल्कि एक जिम्मेदार अधिकारी के रूप में उनकी पहल होगी।
केरल का दिया उदाहरण – समाज की जागरूकता से आया बदलाव
Arif Mohammad Khan ने अपने गृह राज्य Kerala का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां एक महिला डॉक्टर की दहेज हत्या के बाद उन्होंने पीड़िता के परिवार से मुलाकात की थी। उसके तुरंत बाद, राज्य सरकार ने हर जिले में Anti-Dowry Officer नियुक्त कर दिए और सभी विश्वविद्यालयों में डिग्री से पहले यह लिखवाया जाने लगा कि छात्र किसी भी महिला उत्पीड़न या दहेज केस में शामिल नहीं होंगे, वरना उनकी डिग्री रद्द कर दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस बदलाव की वजह कानून नहीं, बल्कि समाज की नैतिक जागरूकता थी। उन्होंने गांधीवादी लोगों द्वारा किए गए अनशन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह बदलाव तभी आता है जब समाज अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करता है।