पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान (Patna Zoo) की सबसे लोकप्रिय और उम्रदराज हथिनी ‘माला’ ने रविवार सुबह इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 55 वर्ष की माला पिछले कई महीनों से बीमार चल रही थी और अंततः कार्डियक रेस्पिरेटरी फेलियर (Cardiac Respiratory Failure) के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
बच्चों की चहेती माला ने छोड़ा गहरा प्रभाव
माला पटना जू की वो जानवर थी जिससे हर उम्र का दर्शक जुड़ा हुआ महसूस करता था। खासकर बच्चे उसकी मस्ती और सौम्यता के दीवाने थे। वर्ष 1975 में मात्र 7 वर्ष की उम्र में माला को रेस्क्यू कर पटना लाया गया था। तभी से वह जू की पहचान बन गई थी।
लंबे समय से थी बीमार, विशेषज्ञ भी नहीं कर सके मदद
पिछले कुछ महीनों से माला के पैरों में गंभीर घाव थे, नाखून उखड़ चुके थे और वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गई थी। खाना-पीना भी लगभग बंद कर चुकी थी। देशभर के शीर्ष हाथी विशेषज्ञों की मदद से उसका इलाज कराया गया, लेकिन रविवार को उसकी हालत और बिगड़ गई और वह चल बसी।
जू निदेशक Hemant Patil ने बताया कि प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, माला की मौत का कारण कार्डियक रेस्पिरेटरी फेलियर पाया गया है। विस्तृत जांच के लिए विसरा सैंपल ICMR Bareilly भेजा गया है।
लक्ष्मी भी हुई उदास, माला की याद में बदला व्यवहार
माला के साथ पटना जू में उसकी साथी हथिनी ‘लक्ष्मी’ भी रहती थी, जिसे कुछ वर्षों पहले 12 साल की उम्र में रेस्क्यू किया गया था। लक्ष्मी के आने से माला की जिंदगी में नई खुशी आई थी। दोनों साथ समय बिताती थीं और दर्शकों के लिए आकर्षण बन गई थीं।
अब माला के निधन के बाद लक्ष्मी अकेली हो गई है। रविवार को लक्ष्मी का व्यवहार सामान्य से हटकर था, जिससे स्पष्ट है कि वह भी माला की अनुपस्थिति को महसूस कर रही है।
पटना जू की यादों में हमेशा जिंदा रहेगी ‘माला’
पटना जू की इतिहास में माला का नाम स्नेह और सम्मान के साथ लिया जाएगा। उसकी यादें बच्चों, दर्शकों और जू के कर्मचारियों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी।
जू प्रबंधन अब लक्ष्मी की मानसिक और भावनात्मक देखभाल पर विशेष ध्यान दे रहा है और विशेषज्ञों की सलाह से उसके लिए एक नया साथी लाने पर विचार कर रहा है।