Bihar Election 2025: क्या Tejashwi Yadav तोड़ पाएंगे जातीय राजनीति का जाल? मिशन 2025 में नया नेता बनने की जंग शुरू!

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(Image Source: Social Media Sites)

Bihar Election 2025: Bihar की राजनीति हमेशा से सियासी प्रयोगों की ज़मीन रही है। यहां नेता केवल भाषणों से नहीं, आंदोलनों और जमीनी संघर्ष से पैदा होते हैं। Jayaprakash Narayan से लेकर Lalu Prasad Yadav और अब Tejashwi Yadav—हर युग ने एक ऐसा चेहरा देखा है जिसने सत्ता के समीकरणों को बदल डाला।

2025 के विधानसभा चुनाव की आहट के साथ बिहार की राजनीति में एक बार फिर तेजस्वी यादव चर्चा में हैं। कभी केवल ‘Lalu ka beta’ कहकर जिनका मज़ाक उड़ाया गया, वही अब गंभीर राजनीतिक दावेदार के रूप में उभर चुके हैं। लेकिन सवाल है—क्या वो सिर्फ विरासत का फायदा ले रहे हैं, या वाकई जातीय राजनीति की दीवारों को तोड़ रहे हैं?

विरासत—बोझ या ताकत?

Tejashwi की सबसे बड़ी पहचान उनके पिता Lalu Prasad Yadav की राजनीतिक विरासत है। एक वर्ग इस शासन को सामाजिक न्याय का स्वर्णकाल कहता है, तो दूसरा इसे जंगलराज। तेजस्वी ने खुद को इस छवि से अलग करने की कोशिश की है। उनके भाषणों में संयम है, मुद्दों में रोजगार, और बातों में युवाओं की आकांक्षाएं।

2015 से 2020 तक का सफर: नेता से रणनीतिकार तक

2015 में जब महागठबंधन बना और BJP को हार का सामना करना पड़ा, तब तेजस्वी Deputy CM बने। तब वे अनुभवहीन थे, लेकिन उनके अंदर की राजनीतिक समझ धीरे-धीरे सबके सामने आई। 2020 के चुनाव में RJD सबसे बड़ी पार्टी बनी, भले ही सत्ता से कुछ सीटें दूर रह गई। तेजस्वी की “10 लाख नौकरी” की घोषणा ने बेरोजगारों और युवाओं का दिल जीता और एक नई राजनीति की नींव रखी।

क्या Tejashwi तोड़ पाए MY समीकरण की सीमा?

Bihar की राजनीति में हमेशा जातीय समीकरण हावी रहे हैं—Yadav, Muslim, Kushwaha, Bhumihar, Dalit आदि वोट बैंक तय करते हैं कि सत्ता किसे मिलेगी। तेजस्वी पर MY (Muslim-Yadav) समीकरण का ठप्पा लगता रहा, लेकिन 2020 में उन्होंने महिला, दलित और सवर्ण वोटरों को भी जोड़ने की कोशिश की। अब उनके भाषण रिज़र्वेशन और सामाजिक न्याय तक सीमित नहीं हैं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे भी शामिल हैं।

नई शैली, नया संदेश: Tejashwi का बदला हुआ अंदाज़

राजनीति में केवल मुद्दे नहीं, उन्हें कैसे पेश किया जाए—यह भी मायने रखता है। तेजस्वी अब आक्रोश की बजाय तथ्यों और भविष्य की बात करते हैं। जहां BJPModi Magic’ और राष्ट्रवाद के सहारे माहौल बनाती है, तेजस्वी youth migration, paper leak, teacher recruitment, jobs in Bihar जैसे मुद्दों को ज़मीन से जोड़ते हैं। उनका संदेश—“बिहार के युवा अब दिल्ली नहीं, बिहार में ही काम चाहते हैं”—दिल को छू जाता है।

BJP और JDU की चुनौती: क्या ‘Double Engine’ सरकार हिलेगी?

Tejashwi की सबसे बड़ी परीक्षा BJP और JDU के गठबंधन से है। जहां BJP के पास Modi brand और RSS का संगठन है, वहीं JDU का क्षेत्रीय नेटवर्क भी मजबूत है। इस चुनौती से निपटने के लिए तेजस्वी को OBC, महिला और दलित मतदाताओं को सीधा संदेश देना होगा।

गठबंधन की राह या अकेली लड़ाई?

क्या Congress, Left Parties और अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन तेजस्वी को मंज़िल तक पहुंचाएगा? या उन्हें अकेले ही बिहार का भविष्य बदलना होगा? यह उनकी रणनीतिक सूझबूझ और गठबंधन को साथ लेकर चलने की क्षमता पर निर्भर करेगा।

जनता तैयार है बदलाव के लिए?

आख़िरकार, फैसला बिहार की जनता को करना है। क्या वो जातीय पहचान से ऊपर उठकर विकास और नेतृत्व को अहमियत देगी? अगर हां, तो Tejashwi Yadav के पास वो सभी गुण हैं—युवा चेहरा, साफ छवि, मुद्दों की समझ और विरासत का अनुभव

Mission 2025: अवसर या अंतिम परीक्षा?

Tejashwi Yadav का मिशन 2025 केवल चुनाव नहीं, बिहार की राजनीतिक दिशा को बदलने का प्रयास है। जहां जातीय गणित, युवा ऊर्जा और जन आकांक्षाएं एक-दूसरे से टकरा रही हैं। अगर वो इस टकराव को संतुलन में बदल पाए, तो बिहार को मिल सकता है नया नेता। नहीं तो ये भी एक और कोशिश बनकर रह जाएगी, जो जातीय दीवारों से टकराकर चुपचाप ढह जाएगी।

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