Bihari Swabhiman Sammelan 2025: मुंबई में बिखरी संस्कृति की छटा, उदित नारायण ने अहमदाबाद हादसे पर जताया शोक

पहली बार मुंबई में हुआ 'Bihari Swabhiman Sammelan 2025' बना प्रवासी बिहारियों की भावना का प्रतीक, उदित नारायण के सुरों और वक्ताओं के विचारों ने दिलों को छुआ

Bihari Swabhiman Sammelan 2025 Udit Narayan Ahmedabad Tragedy
(Source: Google/Social Media Sites)

मुंबई: देश की मायानगरी मुंबई में पहली बार ‘Bihari Swabhiman Sammelan 2025’ का आयोजन लता मंगेशकर ऑडिटोरियम, दहिसर में भव्यता के साथ हुआ। यह आयोजन बिहार की संस्कृति, आत्मगौरव और प्रवासी समुदाय की भावनाओं का उत्सव बन गया। हज़ारों की संख्या में पहुंचे प्रवासी बिहारियों की उपस्थिति ने इसे एक जनआंदोलन का रूप दे दिया।

उदित नारायण के सुर और संवेदना

कार्यक्रम की शुरुआत से पहले पद्म भूषण गायक Udit Narayan ने हाल ही में हुए Ahmedabad Plane Crash पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा:

“यह घटना दिल को झकझोरने वाली है। मेरी संवेदनाएं उन सभी परिवारों के साथ हैं जिन्होंने इस हादसे में अपनों को खोया है।”

भावनाओं से भरे इस वक्तव्य के बाद जब उन्होंने Papa Kehte Hain Bada Naam Karega जैसे अपने क्लासिक गाने गाए, तो पूरा ऑडिटोरियम तालियों से गूंज उठा। उनकी पत्नी Deepa Narayan Jha के साथ गाया गया Kani Has Ka Kahu (मैथिली लोकगीत) और Main Nikla Gaddi Leke ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

“बिहार से बिहारी निकल सकता है…”

पूर्व सांसद Sanjay Nirupam ने मंच से कहा:

“बिहार से बिहारी निकल सकता है, लेकिन बिहारी के अंदर से बिहार नहीं।”

इस पंक्ति ने हर प्रवासी बिहारी के दिल को छू लिया और सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से भर उठा।

सशक्त बिहार के लिए घोषणाएं

सम्मेलन में शामिल उद्योगपतियों, शिक्षाविदों और राजनीतिक प्रतिनिधियों ने बिहार में Investment, Startups, Skill Development और Youth Employment से जुड़ी कई योजनाओं की घोषणा की।

भविष्य की दिशा में संवाद: तीन प्रमुख सत्र

सम्मेलन में तीन अहम सत्रों में बिहार के भविष्य को लेकर विचार साझा किए गए:

  • साहित्य, सिनेमा और संस्कृति
  • राजनीति और शासन – Bihar: Vision 2035
  • उद्यमिता और नवाचार – New Age Bihari Entrepreneurs

इन सत्रों में IAS अधिकारियों, फिल्मकारों, नीति विशेषज्ञों और युवा लीडर्स ने भाग लिया।

लिट्टी-चोखा से स्वागत, लोकगीत से विदाई

आगंतुकों का स्वागत बिहारी परंपरा अनुसार Litti-Chokha और चाय से किया गया। वहीं विदाई Bhojpuri और Maithili लोकगीतों के साथ हुई, जिसने लोगों को घर जैसा माहौल महसूस कराया।

मनोरमा झा ने दिया विजन स्टेटमेंट

Shubhsita Foundation की संस्थापक Manorama Jha ने कहा:

“यह केवल एक सम्मेलन नहीं, बल्कि बिहारी अस्मिता का महाउत्सव है। प्रवासी बिहारियों की चेतना, एकता और पहचान को मजबूत करने की दिशा में यह हमारा साझा कदम है।”

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