नई दिल्ली: भारत सरकार ने देश की अगली जनगणना की तैयारियों को लेकर बड़ा ऐलान किया है। Census 2026-27 को दो चरणों में आयोजित किया जाएगा और इस बार पहली बार Caste Census यानी जातीय गणना भी इसमें शामिल की जाएगी।
पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा, जबकि दूसरा चरण 1 मार्च 2027 से चलाया जाएगा। यह जनगणना देश के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक ढांचे में एक बड़ा बदलाव लाने वाली मानी जा रही है।
पहले चरण में इन पहाड़ी राज्यों से होगी शुरुआत
सूत्रों के अनुसार, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में जनगणना की शुरुआत पहले चरण में ही कर दी जाएगी। इन क्षेत्रों में जलवायु और भौगोलिक कठिनाइयों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है ताकि समय पर आंकड़े इकट्ठा किए जा सकें।
जातीय आंकड़ों को लेकर मिली है मंज़ूरी
सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार ने जातीय आंकड़े इकट्ठा करने की योजना को अंतिम रूप दे दिया है। यह फैसला केंद्रीय मंत्री Ashwini Vaishnaw की उस घोषणा के कुछ ही हफ्तों बाद सामने आया है, जिसमें उन्होंने बताया था कि कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स ने जनगणना में जातीय डेटा शामिल करने को मंज़ूरी दे दी है।
सामाजिक न्याय के लिए जरूरी कदम
Ashwini Vaishnaw ने अप्रैल में कहा था कि यह निर्णय सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इससे सरकार को नीति निर्माण में बड़ी मदद मिलेगी और समावेशी विकास को बल मिलेगा।
विपक्ष की लंबे समय से रही है मांग
देश की प्रमुख विपक्षी पार्टियों – Congress, INDIA गठबंधन, और कई क्षेत्रीय दलों की ओर से लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग उठती रही है। हाल ही में Congress-शासित Karnataka सरकार ने अपने स्तर पर जाति सर्वे कराया था, लेकिन Vokkaliga और Lingayat समुदायों ने इसमें अपनी सही हिस्सेदारी न दिखाए जाने को लेकर नाराज़गी जताई थी।
2021 की जनगणना कोविड के चलते टली थी
भारत में जनगणना हर 10 साल में होती है ताकि National Population Register (NPR) को अपडेट किया जा सके। हालांकि, 2021 में होने वाली जनगणना Covid-19 महामारी की वजह से स्थगित कर दी गई थी। अब सरकार जनगणना चक्र में बदलाव की संभावनाओं पर भी विचार कर रही है।