रांची, 9 जून 2025 – झारखंड की धरती पर आज एक बार फिर धरती आबा भगवान Birsa Munda के बलिदान को नमन किया गया। उनकी 125वीं पुण्यतिथि पर राज्यपाल Santosh Gangwar और मुख्यमंत्री Hemant Soren ने राजधानी रांची के कोकर स्थित समाधि स्थल पर पहुंचकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
मुख्यमंत्री के साथ उनकी पत्नी और गांडेय विधायक Kalpana Soren, राज्यसभा सांसद Mahua Maji, जेएमएम के केंद्रीय महासचिव Vinod Pandey, और कांग्रेस नेता Rajesh Thakur सहित अनेक जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
आदिवासी परंपरा अनुसार किया गया सम्मान
बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार माल्यार्पण किया गया। श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा –
“धरती आबा ने अपने छोटे जीवन में बड़ा आंदोलन खड़ा किया। वे आज भी हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं। हमारी सरकार उनके आदर्शों पर चलकर आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।”
राज्यपाल संतोष गंगवार ने भी कहा –
“Birsa Munda न केवल स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि आदिवासी चेतना और सामाजिक न्याय के प्रतीक भी थे। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की दमनकारी नीतियों का साहसपूर्वक सामना किया।”
राजनीतिक और सामाजिक नेताओं ने की उपस्थिति
समाधि स्थल पर पूर्व मुख्यमंत्री Arjun Munda, Champai Soren, राज्यसभा सांसद Deepak Prakash, रांची विधायक CP Singh, हटिया विधायक Naveen Jaiswal, CPI (ML) नेता Dipankar Bhattacharya सहित कई नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा –
“Birsa Munda केवल झारखंड नहीं, पूरे भारत के जननायक हैं। झारखंड से स्वतंत्रता संग्राम के ‘उलगुलान’ की नींव पड़ी थी। उनका योगदान आज भी जीवित है।”
वहीं चंपई सोरेन ने भावुक अपील में कहा –
“आदिवासियों के साथ आज भी छल हो रहा है। एक बार फिर भगवान बिरसा मुंडा के तर्ज पर उलगुलान करने की जरूरत है – ‘जागो आदिवासी, जागो मूलवासी’।”
कौन थे बिरसा मुंडा?
भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को हुआ था और 9 जून 1900 को अंग्रेजों की कैद में रांची जेल में उनकी मृत्यु हो गई।
उन्हें ‘उलगुलान’ आंदोलन का नायक और ‘धरती आबा’ कहा जाता है।
झारखंड में उनकी पुण्यतिथि को शौर्य और बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।