रांची-पतरातू रोड पर फिर से भू-धंसान की घटना सामने आई है। सौंदा डी परियोजना (भुरकुंडा सयाल) के पास सड़क का एक बड़ा हिस्सा अचानक धंस गया, जिससे इस व्यस्त मार्ग पर यातायात को पूरी तरह बंद करना पड़ा है। हैरानी की बात यह है कि इस धंसे इलाके से लगातार धुआं भी निकल रहा है, जिससे क्षेत्र में दहशत का माहौल है।
भारी बारिश या कोयला खनन? दोहरी वजहें बनी खतरा
हाल के दिनों में हुई भारी बारिश को इस भू-धंसान का तात्कालिक कारण माना जा रहा है। लेकिन स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों का कहना है कि वर्षों से हो रहे कोयला खनन ने इस क्षेत्र की ज़मीन को खोखला बना दिया है।
सीसीएल (Central Coalfields Limited) की सौंदा डी परियोजना के अंतर्गत आने वाले इस क्षेत्र में भूमिगत खनन लंबे समय से जारी है। कोयले की अत्यधिक खुदाई के चलते ज़मीन की संरचना कमज़ोर हो चुकी है।
सड़क बंद, धुआं बना रहस्य
सड़क का लगभग आधा हिस्सा जमीन में समा गया है और वहां से लगातार धुआं उठ रहा है। स्थानीय प्रशासन और सीसीएल प्रबंधन ने इस क्षेत्र को ईंट-पत्थरों से घेरकर चिह्नित कर दिया है, ताकि कोई अनहोनी न हो।
विशेषज्ञों की मानें तो यह धुआं भूमिगत कोयला खदान में लगी आग का संकेत हो सकता है। अगर यह सच है, तो यह घटना झरिया कोल माइंस फायर जैसी त्रासदी का संकेत भी हो सकती है।
अधिकारियों ने क्या कहा?
सीसीएल प्रबंधन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
“स्थिति का जायजा लिया जा रहा है। क्षेत्र को सील कर दिया गया है और कोल माइंस इंजीनियरिंग टीम को जांच के लिए बुलाया गया है। अगर आग की पुष्टि होती है, तो बचाव कार्य शुरू किया जाएगा।”
पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब रांची-पतरातू मार्ग पर इस तरह की घटना हुई है। इससे पहले भी सौंदा डी और आसपास के क्षेत्रों में कई बार ज़मीन धंसने की खबरें आई हैं।
स्थानीय लोगों में दहशत
घटना के बाद स्थानीय लोगों में डर का माहौल है। कई परिवारों ने इलाके को अस्थायी रूप से छोड़ दिया है। लोगों की मांग है कि सरकार और कोल कंपनियां मिलकर स्थायी समाधान दें, ताकि जानमाल की हानि रोकी जा सके।