पांच साल के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra 2025) का शुभारंभ हो चुका है। श्रद्धालुओं के पहले जत्थे को शुक्रवार को दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू भवन से रवाना किया गया। विदेश राज्य मंत्री Pabitra Margherita ने इस विशेष समारोह की अध्यक्षता करते हुए झंडी दिखाकर जत्थे को विदा किया।
भारत-चीन तनाव के कारण 2019 के बाद बंद थी यात्रा
गौरतलब है कि यह धार्मिक यात्रा 2019 के बाद से स्थगित थी। पहले COVID-19 महामारी और फिर भारत-चीन सीमा विवाद के चलते यात्रा को रोक दिया गया था। लेकिन अब, पूर्वी लद्दाख के Depsang और Demchok क्षेत्रों से सेनाओं की वापसी के बाद, यात्रा मार्ग को फिर से सुरक्षित घोषित किया गया है।
Pabitra Margherita ने चीनी सहयोग की सराहना की
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि Pabitra Margherita ने अपने संबोधन में कैलाश यात्रा को पुनः आरंभ कराने में सहयोग देने के लिए चीन सरकार की प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के समन्वयात्मक प्रयासों की भी सराहना की।
Indirapuram से जयवीर सिंह ने रवाना किया उत्तर भारत का जत्था
रविवार को उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री Jaiveer Singh ने इंदिरापुरम स्थित कैलाश मानसरोवर भवन से उत्तर भारत के पहले जत्थे को झंडी दिखाई। इस मौके पर श्रद्धालुओं और उनके परिजनों में खासा उत्साह देखा गया।
क्या है कैलाश और मानसरोवर की पवित्रता का रहस्य?
हिमालय की गोद में स्थित Kailash Parvat (6,638 मीटर ऊंचा) और Mansarovar Lake न सिर्फ हिंदू धर्म बल्कि बौद्ध, जैन और बोन धर्मों में भी अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह भगवान शिव का निवास स्थान है। मानसरोवर झील को जीवनदायिनी शक्ति और मानसिक शांति का स्रोत माना जाता है।
यात्रा के आधिकारिक मार्ग और अवधि
भारत सरकार हर वर्ष जून से सितंबर के बीच दो आधिकारिक मार्गों से यात्रा आयोजित करती है:
- लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) – 1981 से
- नाथू ला दर्रा (सिक्किम) – 2015 से
दोनों मार्गों से यात्री तिब्बत स्थित कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की यात्रा करते हैं।
हर साल अप्रैल से अक्टूबर तक उमड़ते हैं श्रद्धालु
दुनिया भर से हजारों श्रद्धालु और रोमांच प्रेमी अप्रैल से अक्टूबर के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आते हैं। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि साहसिकता और आत्मिक शांति की भी एक विशेष अनुभूति कराती है।