बिहार की राजनीति में बड़ा झटका तब लगा जब दरभंगा जिले के अलीनगर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक Mishri Lal Yadav की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई। वजह बनी 6 साल पुरानी एक मारपीट और लूटपाट की घटना, जिसमें कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी।
इस आपराधिक मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट, दरभंगा ने 27 मई 2025 को अपना फैसला सुनाते हुए मिश्री लाल यादव और एक अन्य अभियुक्त सुरेश यादव को दोषी ठहराया। दोनों पर IPC की धारा 506 के तहत आरोप सिद्ध हुए और अदालत ने दोनों को दो-दो साल की सजा और ₹1 लाख का जुर्माना भी लगाया।
VIP से BJP तक का सफर
मिश्री लाल यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव में Mukesh Sahani की Vikassheel Insaan Party (VIP) के टिकट पर जीत दर्ज की थी। लेकिन चुनाव के बाद वे सहनी का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए थे।
कोर्ट के फैसले के बाद रद्द हुई सदस्यता
2019 में दर्ज इस केस में याचिकाकर्ता ने मारपीट, लूटपाट और जान से मारने की धमकी की शिकायत की थी। कोर्ट के अनुसार, विधायक और उनके साथी पर आरोप प्रमाणित हुए हैं। भारतीय संविधान के अनुसार, दो साल या उससे अधिक की सजा पाए किसी भी जनप्रतिनिधि की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है। इसी आधार पर बिहार विधानसभा सचिवालय ने यादव की सदस्यता रद्द करने की कार्रवाई की।
राजनीतिक असर
यह फैसला बिहार की राजनीति में हलचल मचा सकता है, खासतौर पर भाजपा खेमे में, जहां पहले से ही जातीय और राजनीतिक संतुलन को साधने की चुनौती है।