BANKA: बांका जिले के चांदन प्रखंड के पांडेयडीह गांव से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। 25 वर्षीय प्रियंका पांडेय (Priyanka Pandey) की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई है। प्रियंका की शादी महज दो साल पहले जून 2022 में राज प्रकाश पांडेय से हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी। वह मूल रूप से जमुई जिले के कल्याणपुर गांव की रहने वाली थीं।
प्रियंका की मौत की खबर ने पूरे गांव और आसपास के क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। मृतका के परिवार ने साफ तौर पर आरोप लगाया है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि एक सोची-समझी दहेज हत्या है।
₹5 लाख दहेज की कर रहे थे मांग, पति सहित ससुराल वालों पर प्रताड़ना का आरोप
मृतका के बड़े भाई विवेकानंद पांडेय ने बताया कि शादी के बाद से ही ससुराल वाले प्रियंका पर ₹5 लाख नकद दहेज की मांग को लेकर दबाव बना रहे थे। उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था। भाई के अनुसार, बेटी होने के कारण भी उसे अक्सर ताने मिलते थे जिससे वह गहरे मानसिक तनाव में रहती थी।
दो दिन पहले प्रियंका के पति द्वारा मारपीट की सूचना मिलने पर उसके पिता और भाई उसे मायके लाने पहुंचे लेकिन ससुराल वालों ने साफ इनकार कर दिया। रात में पड़ोसियों से सूचना मिली कि प्रियंका की हत्या कर दी गई है। सुबह जब वे गांव पहुंचे तो प्रियंका का शव मिला, गले पर रस्सी से खींचने के स्पष्ट निशान थे।
पुलिस ने पति समेत तीन गिरफ्तार, फॉरेंसिक जांच से होगा पर्दाफाश
घटना की जानकारी मिलते ही चांदन थाना पुलिस मौके पर पहुंची और प्रियंका के पति, सास और ससुर को हिरासत में ले लिया। थाना अध्यक्ष विष्णु देव कुमार ने बताया कि पांच लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और एफएसएल टीम ने घटनास्थल से अहम साक्ष्य भी जुटाए हैं।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक जांच के बाद ही मौत के कारणों की सटीक पुष्टि हो पाएगी। पुलिस जांच जारी है।
9 महीने की मासूम बेटी को सौंपा गया नाना-मामा को
प्रियंका के अंतिम संस्कार के समय पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। अंतिम संस्कार में मुखाग्नि उसके छोटे भाई विद्यानंद पांडेय ने दी। सबसे मार्मिक दृश्य तब था जब प्रियंका की 9 माह की मासूम बेटी को पुलिस ने नाना और मामा के हवाले कर दिया।
समाज के सामने फिर खड़े हुए गंभीर सवाल
प्रियंका पांडेय की मौत ने न केवल एक खुशहाल परिवार को उजाड़ा है, बल्कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा और दहेज उत्पीड़न को लेकर फिर एक बार चिंता बढ़ा दी है।
क्या अब भी दहेज के खिलाफ कानून पर्याप्त हैं?
क्या पीड़ित महिलाओं को समय पर सुरक्षा मिल पाती है?
इस घटना ने इन सभी सवालों को नए सिरे से समाज के सामने लाकर खड़ा कर दिया है।