बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सियासी सरगर्मी तेज होती जा रही है, और इस बार भी फोकस में हैं Chirag Paswan। 2020 के चुनावों में JD(U) को बड़ा झटका देने वाले चिराग इस बार NDA का हिस्सा होते हुए भी अपने तीखे बयानों और आक्रामक रुख से गठबंधन में खलबली मचाए हुए हैं। सवाल यह उठ रहा है — क्या चिराग एक बार फिर वही पुराना दांव खेलकर 2020 जैसी सियासी हलचल मचाने की तैयारी में हैं या यह सिर्फ seat bargaining की रणनीति है?
2020 में अकेले लड़े और JD(U) को हराया
2020 के Bihar Assembly Election में चिराग पासवान ने NDA से अलग होकर ‘Bihar First, Bihari First’ नारे के साथ अकेले चुनाव लड़ा था। उन्होंने JD(U) के खिलाफ 133 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और भले ही सिर्फ एक सीट जीती, लेकिन Nitish Kumar की पार्टी को करीब तीन दर्जन सीटों पर नुकसान पहुंचाया। इसने नीतीश की सियासी पकड़ को कमजोर कर दिया था।
2024 में NDA के साथ दमदार प्रदर्शन
2024 के Lok Sabha Election में LJP (Ramvilas) ने NDA के साथ मिलकर सभी पांच सीटें जीत लीं, जिससे चिराग की स्थिति और मजबूत हुई। लेकिन अब उनके हालिया बयान — “Bihar mujhe bula raha hai” और “Main zyada samay kendra mein nahi rehna chahta” — नए राजनीतिक संकेत दे रहे हैं।
दलित वोटबैंक पर नजर, सिर्फ पासवान नहीं बाकी जातियों पर भी फोकस
चिराग अब सिर्फ पासवान वोट तक सीमित नहीं रहना चाहते। हाल ही में हुए Bahujan-Bhim Sankalp Sammelan के जरिए उन्होंने अन्य दलित जातियों को साधने की कोशिश की है। विश्लेषकों का मानना है कि चिराग का यह विस्तार BJP और JD(U) जैसे सहयोगी दलों के लिए नई चुनौती बन सकता है।
NDA के अंदरूनी कलह बढ़ी
चिराग के बढ़ते प्रभाव और बयानों से Tejashwi Yadav उन्हें ‘बाहरी’ कहकर तंज कस रहे हैं, वहीं Jitan Ram Manjhi और Upendra Kushwaha उन्हें गठबंधन धर्म निभाने की नसीहत दे रहे हैं। यहां तक कि केंद्रीय मंत्री Ramdas Athawale ने चिराग को दिल्ली की राजनीति तक सीमित रहने की सलाह देकर सबको चौंका दिया।
सीट शेयरिंग बना सबसे बड़ा मुद्दा
LJP (Ramvilas) 35-40 विधानसभा सीटों पर दावेदारी कर रही है, जिसे लेकर BJP और JD(U) असहज हैं। पार्टी का तर्क है कि 2024 में उनका स्ट्राइक रेट 100% था, इसलिए 2025 में उन्हें उचित सम्मान मिलना चाहिए। पहले से ही सीट बंटवारे को लेकर NDA में तनाव है और चिराग की मांगें इसे और जटिल बना रही हैं।
क्या फिर दोहराएंगे 2020 का खेल?
एक ओर चिराग NDA के साथ खड़े दिखते हैं, दूसरी ओर उनके रुख और रणनीति से यही सवाल उठता है कि क्या वे 2020 जैसी चाल फिर चल सकते हैं? अगर उन्हें उनकी मांगें नहीं मिलीं, तो क्या वह फिर से अकेले चुनावी मैदान में उतरेंगे? फिलहाल बिहार की सियासत में चिराग पासवान सबसे बड़ी पहेली बन चुके हैं।