मुजफ्फरपुर (बिहार) से सामने आई एक चौंकाने वाली खबर ने पुलिस जांच की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। जुलाई 2023 में Bihar Police द्वारा जब्त की गईं 15 पुड़िया, जिन्हें smack बताया गया था, उनकी Forensic Lab Report अब सामने आई है – और रिपोर्ट कहती है, वो स्मैक नहीं बल्कि सामान्य खैनी (chewing tobacco) थी।
इस मामले में गिरफ्तार हुए युवक रमेश कुमार (Ramesh Kumar) को नशे के अपराध में दो साल जेल में रहना पड़ा, जबकि अब अदालत ने उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया है।
गलत सैंपल जांच से बिगड़ी ज़िंदगी
रमेश कुमार को Singheshwar police station क्षेत्र से 15 पुड़िया के साथ पकड़ा गया था। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे NDPS Act के तहत जेल भेज दिया। लेकिन Forensic Science Laboratory (FSL) रिपोर्ट आने में दो साल लग गए और वह रिपोर्ट यह साबित करती है कि जब्त की गई सामग्री ड्रग्स नहीं थी।
पुलिस की लापरवाही या जल्दबाजी?
इस घटना ने बिहार पुलिस की जांच प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह है कि बिना पुष्टि के किसी को गंभीर आरोपों में जेल भेजना क्या न्यायोचित है? दो साल तक एक निर्दोष व्यक्ति का जीवन जेल में कैद रहा – इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा?
कोर्ट ने कहा- पर्याप्त सबूत नहीं, आरोपी बरी
Forensic रिपोर्ट के आधार पर मुजफ्फरपुर जिला अदालत ने साफ तौर पर कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि जब्त की गई वस्तु smack थी। कोर्ट ने रमेश कुमार को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया।
अब क्या बदलेगा पुलिस सिस्टम?
यह घटना साफ तौर पर दिखाती है कि जांच और जब्ती के बाद फॉरेंसिक रिपोर्ट की समयसीमा और पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार की सख्त जरूरत है। वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस तरह की चूकें किसी की पूरी जिंदगी बर्बाद कर सकती हैं।