बिहार सरकार अब महिलाओं को केवल घरेलू दायरे में सीमित नहीं देखना चाहती। नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार ने ‘प्रयास योजना’ (Prayas Yojana) के तहत ग्रामीण महिलाओं को व्यक्तिगत ऋण प्रदान करने की शुरुआत की है, जिससे वे सिलाई, दुकानदारी, पशुपालन, खाद्य प्रसंस्करण जैसे छोटे कारोबार शुरू कर सकें। इस योजना का उद्देश्य है – महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती देना।
योजना का उद्देश्य और संरचना
बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (JEEViKA), भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) और वुमन वर्ल्ड बैंकिंग (WWB) के सहयोग से लागू की गई यह योजना महिलाओं को व्यक्तिगत रूप से लोन देने पर केंद्रित है। स्वयं सहायता समूह (SHG) के माध्यम से जुड़ी महिलाएं इस योजना के लिए पात्र होंगी।
प्रमुख लाभ:
- ₹50,000 से ₹2,00,000 तक का लोन
- बिचौलियों की भूमिका खत्म — सीधे लाभार्थियों तक पैसा
- कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध
- संकुल स्तरीय संघों द्वारा लोन का वितरण
- सिलाई, किराना, पशुपालन, कृषि व प्रोसेसिंग के लिए प्रयोग
अधिकारी क्या बोले?
हिमांशु शर्मा, CEO, जीविका ने कहा:
“SHG के ज़रिए हम पहले ही महिलाओं के जीवन में बदलाव देख चुके हैं। अब ‘प्रयास योजना’ उन्हें व्यक्तिगत व्यवसाय स्थापित करने का अवसर दे रही है। यह सशक्तिकरण का अगला चरण है।”
सत्यकी रस्तोगी, CGM, SIDBI ने कहा:
“यह केवल एक फाइनेंस स्कीम नहीं, बल्कि महिलाओं को आत्मविश्वास और पहचान देने वाली क्रांति है।”
राज्य कार्यशाला में उभरे प्रेरणास्पद किस्से
पटना में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में विभिन्न जिलों से आईं महिला उद्यमियों ने अपनी सफलताओं को साझा किया। किसी ने दूध प्रसंस्करण यूनिट शुरू की, तो कोई ऑनलाइन घरेलू उत्पादों की बिक्री कर रही हैं। कुछ ने गांव में किराना दुकानें खोलकर दूसरी महिलाओं को रोज़गार दिया।
इन महिलाओं ने एक ही बात साबित की — अगर अवसर और मार्गदर्शन मिले, तो गांव की महिलाएं भी देश की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा बन सकती हैं।