भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ताज़ा वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) में भारत की GDP ग्रोथ दर 6.5% रहने की संभावना है। RBI का कहना है कि भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। यह अनुमान देश की मजबूत अर्थव्यवस्था, स्थिर वित्तीय तंत्र और सतत विकास के लिए सरकार के समर्थन पर आधारित है।
हालांकि, RBI ने यह भी चेतावनी दी है कि वैश्विक व्यापार तनाव, भू-राजनीतिक अनिश्चितता और बाजार में उतार-चढ़ाव जैसे जोखिम, भारत की विकास और महंगाई दर को प्रभावित कर सकते हैं।
घरेलू ताकतों के दम पर आगे बढ़ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था
RBI ने घरेलू कारणों को भारत की आर्थिक मजबूती का मुख्य स्तंभ बताया है। निजी खर्च में लगातार वृद्धि हो रही है, कंपनियों और बैंकों की बैलेंस शीट मज़बूत हैं, जिससे लोन और निवेश में बढ़ोतरी हो रही है। इसके साथ ही सरकार का कैपिटल एक्सपेंडिचर लगातार अर्थव्यवस्था को गति दे रहा है।
RBI की बैलेंस शीट में FY25 के अंत (31 मार्च 2025) तक 8.2% की वृद्धि हुई और इसका कुल मूल्य ₹76.25 लाख करोड़ रहा। इस वृद्धि के चलते सरकार को ऐतिहासिक ₹2.69 लाख करोड़ का डिविडेंड दिया गया। आरबीआई के पास मौजूद सोने के भंडार में 52.09% की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई, जबकि घरेलू निवेश 14.32% बढ़े और विदेशी निवेश में 1.70% की मामूली बढ़ोतरी हुई।
आय में जबरदस्त उछाल, ₹2.68 लाख करोड़ का अधिशेष
RBI की कुल आय में इस साल 22.77% की वृद्धि हुई, जबकि खर्च में वृद्धि 7.76% रही। इससे ₹2.68 लाख करोड़ का अधिशेष बना, जो पिछले वर्ष ₹2.10 लाख करोड़ से 27.37% अधिक है। यह रिपोर्ट रिजर्व मैनेजमेंट, मुद्रा निर्गमन और मौद्रिक नीति को निर्देशित करने में RBI की भूमिका को दोहराती है।
परिसंपत्तियों और देनदारियों में क्या बदला?
मार्च 2025 तक चलन में मुद्रा (Currency in Circulation) में 6.03% की वृद्धि दर्ज की गई। अन्य देनदारियों में 23.31% और पुनर्मूल्यांकन भंडार (Revaluation Reserves) में 17.32% की बढ़ोतरी हुई। RBI की कुल संपत्तियों में से 25.73% घरेलू संपत्तियाँ थीं, जबकि 74.27% विदेशी करेंसी, सोना, और विदेशी संस्थानों को दिए गए ऋण शामिल थे। यह पिछले वर्ष की तुलना में हल्का बदलाव दर्शाता है।
इस वर्ष RBI ने ₹44,861.70 करोड़ अपनी Contingency Fund में स्थानांतरित किए, जिससे अप्रत्याशित आर्थिक झटकों को झेलने की क्षमता और अधिक मजबूत हुई है।
आर्थिक विकास के साथ सतर्कता जरूरी
RBI की रिपोर्ट बताती है कि FY26 में भारत फिर से वैश्विक विकास का नेतृत्व करेगा। देश की आर्थिक नींव मजबूत है और रिज़र्व बैंक अपनी नीतियों के ज़रिए इस विकास को बनाए रखने में मदद कर रहा है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर जारी अस्थिरता भारत की दीर्घकालिक और समावेशी विकास यात्रा के लिए एक बड़ी परीक्षा साबित हो सकती है।