नई दिल्ली: बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण यानी Special Intensive Revision (SIR) को लेकर मचा सियासी बवाल अब Supreme Court तक पहुंच चुका है. 9 जुलाई को Rahul Gandhi और Tejashwi Yadav के नेतृत्व में विपक्ष ने पटना की सड़कों पर जमकर प्रदर्शन किया, वहीं 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर चुनाव आयोग से कड़े सवाल पूछते हुए सख्त टिप्पणी की कि “नागरिकता की जांच करना चुनाव आयोग का काम नहीं है”.
इस एक बयान ने पूरे राजनीतिक परिदृश्य को झकझोर दिया. कोर्ट ने कहा कि प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए और कोई भी वैध मतदाता अनजाने में इससे बाहर न हो. हालांकि, अदालत ने SIR प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है, लेकिन यह निर्देश जरूर दिया कि आयोग प्रक्रिया को और सरल बनाने पर विचार करे.
पटना की सड़कों पर विपक्ष का हल्ला बोल: राहुल-तेजस्वी ने किया चक्का जाम
9 जुलाई को बिहार में विपक्षी महागठबंधन ने SIR के विरोध में ज़बरदस्त प्रदर्शन किया. कांग्रेस नेता Rahul Gandhi ने संविधान की प्रति हाथ में लेकर इसे “लोकतंत्र पर हमला” बताया. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ वोट चुराने की साजिश नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य को छीनने का षड्यंत्र है. उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया को ‘Maharashtra Model’ का विस्तार करार दिया.
RJD नेता Tejashwi Yadav ने भी SIR को “छुपकर NRC लागू करने की चाल” बताते हुए चेतावनी दी कि यदि यह नहीं रुका तो एक जनआंदोलन शुरू होगा. प्रदर्शन में CPI के D. Raja, CPIML Liberation के Dipankar Bhattacharya और VIP के Mukesh Sahani जैसे नेता भी शामिल हुए.
चुनाव आयोग की दलील: डुप्लिकेट हटाने के लिए जरूरी है SIR
Election Commission ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि SIR प्रक्रिया जरूरी है क्योंकि पिछले 22 वर्षों में मतदाता सूची की गहन समीक्षा नहीं हुई. इसके तहत 24 जून से शुरू हुई प्रक्रिया में अब तक 4.53 करोड़ यानी करीब 57.48% फॉर्म जमा हो चुके हैं.
EC के मुताबिक, यह प्रक्रिया उन मतदाताओं को हटाने के लिए है जो अब राज्य में नहीं रहते या डुप्लिकेट एंट्री हैं. आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि जिनका फॉर्म जमा नहीं होगा, उनके नाम 1 अगस्त को जारी ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं दिखेंगे.
SC में सुनवाई, विपक्ष को राहत या झटका?
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि EC संवैधानिक सीमा में काम कर रहा है, लेकिन यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रक्रिया इतनी जटिल न हो कि गरीब और अनपढ़ मतदाता इससे वंचित रह जाएं.
हालांकि, कोर्ट ने प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई, जिसे बीजेपी समर्थकों ने ‘विपक्ष को झटका’ बताते हुए प्रचारित किया. लेकिन कोर्ट की टिप्पणी ने विपक्ष को यह उम्मीद जरूर दी कि अब EC को अपनी प्रक्रिया में बदलाव लाना होगा.
सियासी मोर्चे पर जंग तेज, 2025 बिहार चुनाव पर असर तय
विपक्ष की छह याचिकाओं पर सुनवाई के बाद भी जब कोर्ट ने तत्काल राहत नहीं दी, तो यह साफ हो गया कि SIR की वैधता पर अभी लंबी कानूनी लड़ाई बाकी है. BJP नेता Ravi Shankar Prasad ने आरोप लगाया कि विपक्ष घुसपैठियों को वोटर लिस्ट में शामिल करना चाहता है.
Deputy CM Samrat Chaudhary ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि वे बिहार में सिर्फ “पिकनिक” मनाने आए हैं. वहीं, विपक्ष इसे लोकतंत्र और संविधान की रक्षा की लड़ाई बता रहा है.
अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई और 1 अगस्त को जारी होने वाली वोटर लिस्ट पर टिकी हैं. जाहिर है, इस विवाद ने बिहार चुनाव 2025 के पहले सियासी पारा तेज कर दिया है और यह जंग आने वाले हफ्तों में और भड़क सकती है.