मैट्रिक रिजल्ट में हड़कंप: झारखंड के 7 स्कूलों में 100% छात्र फेल, शिक्षा विभाग सख्त

झारखंड बोर्ड परीक्षा 2025 में हैरान करने वाला खुलासा, सात स्कूलों में एक भी छात्र पास नहीं, 35 हजार से अधिक छात्र फेल

Jharkhand Matric Result 2025 Seven Schools Zero Pass Rate
(Image Source: Social Media Sites)

रांची: झारखंड में इस साल की Matric Board Exam 2025 ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। सात स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी छात्र पास नहीं हो सका। शिक्षा विभाग ने इस चौंकाने वाले प्रदर्शन को गंभीर मानते हुए सभी स्कूलों की जांच के आदेश दिए हैं। झारखंड शिक्षा विभाग के सचिव Umashankar Singh ने संबंधित स्कूलों के प्राचार्यों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है और उन्हें पद से हटाने के निर्देश भी दिए हैं।

फेल होने वाले स्कूलों की लिस्ट हैरान करने वाली

इन स्कूलों में न तो संसाधनों की कमी थी और न ही शिक्षकों की। फिर भी रिजल्ट शून्य आया है:

  • मॉडल स्कूल, पालजोरी (गुमला)
  • उत्क्रमित हाई स्कूल, शिकारीपाड़ा (दुमका)
  • आर मित्रा हाई स्कूल, देवघर – जिसमें 33 शिक्षक हैं और 8 छात्र थे, सभी फेल
  • मिथिला हाई स्कूल, सोनारी (पूर्वी सिंहभूम)
  • गवर्नमेंट हाई स्कूल, बिरसा नगर (पूर्वी सिंहभूम)
  • माइकल जान गर्ल्स हाई स्कूल, गोलमुरी (पूर्वी सिंहभूम)
  • उत्क्रमित हाई स्कूल, सोनगरा (पश्चिमी सिंहभूम)

35,000 से अधिक छात्र फेल, जांच के आदेश

राज्यभर में कुल 35,729 छात्र फेल हुए हैं, जिनकी परीक्षा में खराब प्रदर्शन का विश्लेषण शिक्षा विभाग द्वारा किया जा रहा है। यह तब है जब इस साल बोर्ड रिजल्ट में 1.3% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। फिर भी सात जिले ऐसे हैं जहां प्रदर्शन में गिरावट आई है।

किन जिलों में गिरा परीक्षा परिणाम?

शिक्षा व्यवस्था में गिरावट दर्ज करने वाले सात प्रमुख जिले हैं:

  • पूर्वी सिंहभूम
  • सरायकेला खरसावां
  • गुमला
  • लोहरदगा
  • सिमडेगा
  • खूंटी
  • पश्चिमी सिंहभूम – यहां 6% की सबसे अधिक गिरावट देखी गई है।

इसके अलावा रांची, रामगढ़ और गढ़वा सहित 10 जिले ऐसे हैं, जिनका प्रदर्शन राज्य औसत से भी कम रहा है।

शिक्षा विभाग की सख्ती, जमीनी स्तर पर जांच शुरू

सचिव उमाशंकर सिंह ने निर्देश दिए हैं कि इन स्कूलों की स्थलीय जांच की जाए और दोषी पाए गए स्कूल प्रशासन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। विभाग का कहना है कि यह सिर्फ शिक्षा का मुद्दा नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ी से जुड़ा सवाल है।

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