तमिलनाडु में दिल दहला देने वाला ट्रिपल मर्डर, पिता ने बेटियों को मारा फिर खुदकुशी

तमिलनाडु के नमक्कल में एक पिता ने कर्ज के तनाव में आकर अपनी तीन बेटियों की हत्या कर दी और फिर खुद की भी जान ले ली। पत्नी और बेटे को कमरे में बंद कर दिया था।

Namakkal Father Killed Daughters Then Suicide Tamilnadu News
Namakkal Father Killed Daughters Then Suicide Tamilnadu News (Source: BBN24/Google/Social Media)
मुख्य बातें (Highlights)
  • तमिलनाडु के नमक्कल में ट्रिपल मर्डर की चौंकाने वाली घटना
  • पिता ने तीन बेटियों को मारा, फिर खुद की भी जान ले ली
  • कर्ज के दबाव को बताया गया मुख्य कारण

तमिलनाडु के नमक्कल जिले से ऐसी खबर आई है जिसने पूरे इलाके में सनसनी मचा दी है। एक 36 वर्षीय पिता ने पहले अपनी तीन बेटियों का गला रेतकर हत्या कर दी और उसके बाद खुदकुशी कर ली। यह पूरी वारदात मंगलवार तड़के हुई, जब घर के बाकी सदस्य दूसरे कमरे में बंद थे।

पत्नी और बेटे को कमरे में किया बंद

घटना नमक्कल के वेप्पगौंडनपुथुर गांव की है। आरोपी की पहचान एम. गोविंदराज के रूप में हुई है। उसने सबसे पहले अपनी पत्नी भारती (26) और एक साल के बेटे अग्नेश्वरन को एक कमरे में बंद कर दिया ताकि वे हस्तक्षेप न कर सकें। फिर उसने अपनी तीन बेटियों –

  • प्रतीक्षाश्री (10)
  • ऋतिकाश्री (7)
  • देवाश्री (6)
    का गला रेत दिया।

इसके बाद, गोविंदराज ने चाकू से खुद की गर्दन काटकर आत्महत्या कर ली।

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चीखों से जागे पड़ोसी, देखा खौफनाक मंजर

करीब सुबह 3 बजे आसपास के लोगों ने घर से बच्चों की चीखें सुनीं और मौके पर पहुंचे। उन्होंने दरवाजा तोड़कर भारती और बच्चे को बाहर निकाला। जब भारती दूसरे कमरे में पहुंचीं तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई — तीनों बेटियां खून से लथपथ पड़ी थीं और पति का शव पास में पड़ा था।

20 लाख के कर्ज ने ली जान?

पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि गोविंदराज ने करीब 20 लाख रुपये का लोन लिया था। वह एक बोरवेल फर्म शुरू करना चाहता था और नया घर बनवाने की योजना थी। लेकिन कर्ज की किश्तें न चुका पाने के चलते वह भारी मानसिक तनाव में था।

नमक्कल एसपी एस. विमला ने कहा,

“अब तक के साक्ष्यों से लगता है कि आरोपी ने आर्थिक संकट के कारण यह आत्मघाती कदम उठाया।”

यह मामला बताता है कि मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक दबाव किस हद तक किसी को अंधकार में धकेल सकते हैं। जरूरत है कि ऐसे मामलों को सामाजिक स्तर पर गंभीरता से लिया जाए और समय रहते काउंसलिंग व सहायता दी जाए।

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