Short Dresses पर BJP मंत्री Kailash Vijayvargiya का विवादित बयान: ‘कम कपड़े वाली लड़की अच्छी नहीं लगती’, मचा सियासी भूचाल

World Environment Day के कार्यक्रम में मंत्री का बयान फैशन पर टिका, बोले- 'ड्रेस कोड देखकर देता हूं सेल्फी की अनुमति' – बयान पर बवाल

Short Dresses Comment Kailash Vijayvargiya Row
(Image Source: Social Media Sites)

भोपाल | 6 जून 2025 – विश्व पर्यावरण दिवस जैसे वैश्विक मुद्दे पर आयोजित एक गंभीर समारोह के दौरान मध्य प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री Kailash Vijayvargiya का बयान अचानक “वातावरण” से भटककर “वस्त्रावरण” पर आ गया। मंत्री ने मंच से कहा – “कम कपड़े वाली लड़की अच्छी नहीं लगती” और फिर इस बयान ने इंटरनेट पर आग लगा दी। लोग सवाल कर रहे हैं कि पर्यावरण दिवस पर यह ‘फैशन समीक्षा’ कहां से आ गई?

सेल्फी के लिए मंत्री तय करते हैं ‘ड्रेस कोड’

कैलाश विजयवर्गीय ने अपने बयान में आगे कहा कि जब लड़कियां उनके साथ फोटो या सेल्फी लेना चाहती हैं, तो वह पहले उनके कपड़े देखते हैं। मंत्री के शब्दों में – “अगर ड्रेस कोड ठीक नहीं है तो मैं मना कर देता हूं।” अब सोशल मीडिया पर यह चर्चा तेज़ हो गई है कि क्या अब नेताओं से फोटो खिंचवाने के लिए संस्कृति मंत्रालय की स्वीकृति लेनी पड़ेगी?

संस्कृति की परिभाषा = कपड़ों की लंबाई?

यह कोई पहला मौका नहीं है जब Vijayvargiya ने लड़कियों के पहनावे पर टिप्पणी की हो। पहले भी वे भारतीय नारी की तुलना देवी से करते हुए कई बार “कपड़े और संस्कार” का समीकरण पेश कर चुके हैं। उनका मानना है कि “ज़्यादा कपड़े = ज़्यादा संस्कृति, कम कपड़े = कम शिष्टाचार”

पुराने रिकॉर्ड की फिर याद दिलाई

Vijayvargiya पहले भी नाइट कल्चर, बार-पब कल्चर और वेस्टर्न लाइफस्टाइल के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं। इंदौर में उन्होंने कई बार नाइट लाइफ को ‘असंस्कारी’ बताते हुए सख़्ती की है। अब एक बार फिर उन्होंने यही संदेश देने की कोशिश की है कि भारतीय संस्कृति को सबसे बड़ा खतरा प्रदूषण से नहीं, महिलाओं के फैशन सेंस से है।

विपक्ष और जनता का पलटवार

मंत्री के बयान के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने उन्हें आड़े हाथों लिया। कई ने पूछा – “क्या पर्यावरण संरक्षण पर बोलना ज्यादा ज़रूरी नहीं था?” वहीं विपक्षी नेताओं ने भी इस बयान को महिला विरोधी और बेबुनियादी करार देते हुए माफी की मांग की है।

नोट: यह बयान उस कार्यक्रम के दौरान दिया गया जिसमें पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने की बात की जा रही थी, लेकिन मंच पर शब्दों का तापमान मौसम से ज्यादा बढ़ गया।

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