हिमाचल में दो भाइयों ने रचाई एक ही लड़की से शादी! दुल्हन ने तोड़ी चुप्पी, वजह जान सभी रह गए दंग

शिलाई गांव में हट्टी जनजाति के दो भाइयों ने निभाई सदियों पुरानी परंपरा, दुल्हन बोली- अपनी मर्जी से बनी हूं दोनों की पत्नी

Two Brothers Married One Girl Himachal Polyandry Tradition
Two Brothers Married One Girl Himachal Polyandry Tradition (Source: BBN24/Google/Social Media)
मुख्य बातें (Highlights)
  • हिमाचल के शिलाई गांव में दो भाइयों ने एक ही लड़की से की शादी
  • दुल्हन सुनीता चौहान ने कहा- अपनी मर्जी से लिया फैसला
  • शादी का वीडियो वायरल, समारोह में फॉग स्प्रे को लेकर हुआ हंगामा

महाभारत में द्रौपदी और पांडवों की कहानी तो सबने सुनी है, लेकिन आज भी भारत के कुछ हिस्सों में यह परंपरा जिंदा है। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई गांव में हट्टी जनजाति के दो भाइयों ने एक ही लड़की से शादी रचाकर पुरानी परंपरा को जीवंत कर दिया। प्रदीप नेगी और कपिल नेगी नाम के इन दोनों पढ़े-लिखे भाइयों ने सुनीता चौहान से विवाह किया। खास बात ये रही कि दुल्हन ने भी खुलकर कहा कि उसने बिना किसी दबाव के दोनों भाइयों को पति के रूप में चुना है।

12 जुलाई से शुरू हुआ तीन दिन का यह अनोखा विवाह समारोह ट्रांस-गिरी क्षेत्र में हुआ। यहां लोकगीतों और पारंपरिक नृत्यों से महौल में उत्साह भर गया। इस शादी के वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। समारोह में एक दिलचस्प घटना भी हुई, जब जयमाला के वक्त दूल्हे के जीजा ने लड़कियों पर फॉग स्प्रे कर दिया। इसे रोकने पर दुल्हन के भाई को थप्पड़ मार दिया गया, जिससे शादी का माहौल थोड़ा गर्म हो गया।

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विदेश से आए भाई ने दिया संयुक्त परिवार का संदेश

कपिल नेगी, जो विदेश में रहते हैं, ने कहा कि यह शादी उन्होंने पूरी पारदर्शिता के साथ की है। कपिल ने कहा- ‘मैं विदेश में रहने के बावजूद अपने परिवार को एकजुट रखना चाहता हूं। इस शादी से मैंने अपनी पत्नी के लिए प्यार, सहयोग और स्थिरता सुनिश्चित की है।’ वहीं प्रदीप नेगी ने भी परंपरा को आगे बढ़ाने की बात कही।

हट्टी जनजाति में सदियों पुरानी परंपरा

हट्टी समुदाय, जिसे तीन साल पहले अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला है, उसमें बहुपतित्व की परंपरा सदियों से चली आ रही है। हालांकि अब यह परंपरा कमजोर होती जा रही है। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि पहले इस तरह की शादियां गुप्त रूप से होती थीं, लेकिन अब शिक्षा और आर्थिक तरक्की के चलते ऐसे मामले कम हो गए हैं।

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इस परंपरा के पीछे की सोच

विशेषज्ञों के मुताबिक इस प्रथा का मुख्य उद्देश्य पैतृक संपत्ति के विभाजन को रोकना था। हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री Yashwant Singh Parmar ने भी इस प्रथा पर रिसर्च कर पीएचडी की थी।

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