उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से बकरीद (Eid-ul-Azha) पर एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जहां आमतौर पर इस मौके पर बेजुबान जानवरों की कुर्बानी दी जाती है, वहीं इस बार एक शख्स ने खुद को अल्लाह के नाम पर कुर्बान कर दिया।
ईश मोहम्मद ने छोड़ा भावुक पत्र, कहा – बकरी भी एक जीव है
यह चौंकाने वाला मामला देवरिया जिले के उधोपुर गांव का है। 60 वर्षीय ईश मोहम्मद ने शनिवार सुबह नमाज अदा करने के बाद अपने ही घर में गला रेतकर आत्मबलि दे दी। मोहम्मद ने यह कदम उठाने से पहले एक पत्र भी लिखा जिसमें उन्होंने लिखा –
“लोग बकरियों को बच्चों जैसा प्यार करते हैं और फिर उन्हें कुर्बान कर देते हैं। बकरी भी एक जीव है। मैं अल्लाह के नाम पर खुद कुर्बानी दे रहा हूं, मुझे किसी ने नहीं मारा है, मेरी मौत से घबराएं नहीं।”
मकदूम शाह की मजार से लौटे थे एक दिन पहले
मोहम्मद की पत्नी हाजरा खातून ने बताया कि वे एक कट्टर मुसलमान थे और अकसर अंबेडकर नगर स्थित किचौचा शरीफ में Hazrat Makhdoom Ashraf Jahangir Simnani की दरगाह पर जाया करते थे। ईद से एक दिन पहले ही शुक्रवार को वे वहां से लौटे थे।
शनिवार सुबह मोहम्मद पास की मस्जिद में नमाज पढ़ने गए और कुछ देर बाद उनकी पत्नी को उनकी झोपड़ी से कराहने की आवाज सुनाई दी। जब वह वहां पहुंचीं तो उन्होंने देखा कि मोहम्मद खून से लथपथ जमीन पर पड़े हैं। उनके पास मटन काटने वाला चाकू पड़ा था।
अस्पताल में इलाज के दौरान हुई मौत
परिजनों ने तत्काल उन्हें गोरखपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचाया, लेकिन अत्यधिक खून बहने के कारण शनिवार देर शाम उनकी मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि मामला आत्मबलि का है और मोहम्मद ने किसी से प्रेरित होकर नहीं, बल्कि अपनी धार्मिक भावना के तहत यह कदम उठाया है।
धार्मिक आस्था या अंधविश्वास?
यह घटना धार्मिक समर्पण की पराकाष्ठा मानी जा रही है, लेकिन इससे जुड़ा पहलू यह भी है कि क्या इस तरह की घटनाएं समाज में कट्टरता और आत्महत्या जैसी प्रवृत्तियों को बढ़ावा नहीं देतीं? सवाल यह भी उठता है कि धार्मिक आस्था के नाम पर आत्मबलि देना कहां तक उचित है?