बोकारो एनकाउंटर: एक करोड़ के इनामी प्रयाग मांझी के गढ़ में खूनी भिड़ंत, जवान शहीद, दो नक्सली ढेर!

झारखंड के बोकारो में माओवादियों और सुरक्षाबलों के बीच हुआ खूनी संघर्ष, लुगु पहाड़ी फिर बना मौत का मैदान

Bokaro Encounter Prayag Manjhi Maoist Killed
Bokaro Encounter Prayag Manjhi Maoist Killed (Source: BBN24/Google/Social Media)

झारखंड के बोकारो जिले के गोमिया थाना क्षेत्र में बुधवार सुबह खून की होली खेली गई। सुरक्षाबलों और भाकपा माओवादी (CPI Maoist) उग्रवादियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई जिसमें कोबरा बटालियन का एक बहादुर जवान शहीद हो गया। सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई में दो खूंखार नक्सलियों को मार गिराया। यही वो इलाका है जहां कभी एक करोड़ का इनामी प्रयाग मांझी अपने दस्ते के साथ दहशत फैलाता था।

25 लाख का इनामी कुंवर मांझी मारा गया

मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों में 25 लाख का इनामी कुंवर मांझी भी शामिल है। बताया जा रहा है कि मांझी का गांव भी इसी क्षेत्र में है। घटनास्थल से दोनों नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। सुरक्षाबलों ने पूरे जंगल में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है ताकि बाकी बचे माओवादी भी पकड़े जा सकें।

शहीद हुआ कोबरा बटालियन का जवान

इस मुठभेड़ में कोबरा-209 बटालियन का एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया था जिसे एयरलिफ्ट कर रांची लाया जा रहा था, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। शहीद जवान के सम्मान में पूरे पुलिस बल में शोक की लहर है।

लुगु पहाड़ी में फिर माओवादियों का खूनी खेल

यह मुठभेड़ उसी लुगु पहाड़ी में हुई जहां अप्रैल में एक करोड़ के इनामी समेत आठ माओवादी मारे गए थे। पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, नक्सलियों की गुप्त सूचना पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया था। तभी माओवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी, जिसका मुंहतोड़ जवाब मिला।

भारी बारिश में भी जारी ऑपरेशन

भारी बारिश के बीच सुरक्षाबलों ने नक्सलियों को चारों तरफ से घेर लिया। कोबरा, CRPF और जिला पुलिस की संयुक्त टीम जंगल में अभियान चला रही है। आधे घंटे तक जबरदस्त फायरिंग के बाद अब रुक-रुक कर गोलियां चल रही हैं। सुरक्षाबल किसी भी सूरत में बचे हुए नक्सलियों को पकड़ने के लिए कटिबद्ध हैं।

झारखंड में पहली बार एक साथ मरे थे आठ नक्सली

बता दें कि इसी साल 21 अप्रैल को इसी इलाके में आठ नक्सलियों को ढेर किया गया था। झारखंड के इतिहास में यह पहली घटना थी जब इतने बड़े पैमाने पर नक्सलियों का सफाया हुआ था। उस मुठभेड़ में भी इनामी माओवादी शामिल थे।

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