Lalu Prasad Birthday पर हुआ राजनीतिक कांड, सिवान में माला चढ़ाने की तस्वीरों ने खड़ा किया विवाद

RJD विधायक अवध बिहारी चौधरी के पोस्टर पर माला पहनाने की घटना बनी बहस का मुद्दा, सोशल मीडिया पर लोग बोले – "क्या कर दिया विधायक जी?"

Lalu Prasad Birthday Photo Garland Controversy Bihar
(Image Source: Social Media Sites)

RJD सुप्रीमो Lalu Prasad Yadav आज अपना 78वां जन्मदिन मना रहे हैं। पूरे बिहार में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, लेकिन सिवान से एक अनोखी और विवादित खबर सामने आई है, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और सिवान से आरजेडी विधायक Awadh Bihari Choudhary ने लालू यादव की जीवित तस्वीर पर फूलों की माला पहना दी। यह घटना एक जन्मदिन समारोह के दौरान घटी, जहां कई कार्यकर्ता भी मौजूद थे। पर किसी ने यह नहीं टोका कि “जिंदा व्यक्ति की तस्वीर पर माला नहीं चढ़ाई जाती।”

अब यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है और बिहार की राजनीति में हलचल मची हुई है।

फेसबुक पोस्ट से और बढ़ा विवाद

इस घटना के बाद Awadh Bihari Choudhary ने फेसबुक पर लालू यादव की तस्वीर के साथ भावुक पोस्ट भी किया। उन्होंने लिखा:

“गरीब का बेटा, गाँव की मिट्टी से उठा वो नेता — जो संसद तक पहुँचा, लेकिन कभी ज़मीन नहीं छोड़ी। लालू यादव सिर्फ़ एक नाम नहीं, एक आंदोलन हैं। जो रेल चला सकता है बिना किराया बढ़ाए, वो लालू है।”

उन्होंने आगे जोड़ा:

“आज उनके जन्मदिन पर हम उन्हें सिर्फ़ शुभकामनाएँ नहीं देते, बल्कि उन्हें धन्यवाद कहते हैं — उनके साहस, उनके समाजवाद और उनकी जनप्रतिबद्धता के लिए। लालू जी सिर्फ़ बिहार के नहीं, पूरे भारत के दिलों में बसते हैं।”

RJD के लिए बनी असहज स्थिति

इस पूरे घटनाक्रम से RJD की छवि पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग इस पोस्टर-माला विवाद पर तीखी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ लोगों ने इसे अनजाने में हुई गलती बताया तो कुछ ने इसे “राजनीतिक समझ की कमी” कहा।

क्या कहती है परंपरा?

भारतीय सामाजिक परंपरा में माला चढ़ाना आमतौर पर दिवंगत व्यक्तियों को श्रद्धांजलि देने का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में जीवित नेता की तस्वीर पर माला चढ़ाना ना केवल असंवेदनशील माना जाता है, बल्कि इससे नेता के समर्थकों में भी भ्रम पैदा होता है।


निष्कर्ष

इस घटना ने Lalu Prasad Yadav के जन्मदिन के जश्न को राजनीतिक बहस में तब्दील कर दिया है। हालांकि इस माला-कांड को गलती कहकर टालने की कोशिश की जा सकती है, लेकिन सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में इस पर चर्चाएं अभी थमने का नाम नहीं ले रहीं।

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