AI गॉडफादर ने चेताया: क्या चैटबॉट बना लेंगे अपनी भाषा? फिर नहीं रोक पाएगा इंसान!

AI के जनक जेफ्री हिंटन ने जताई आशंका, बोले- अगर चैटबॉट्स ने अपनी भाषा बना ली, तो इंसानों के लिए उन्हें समझना होगा असंभव।

Godfather Of Ai Warning Chatbots Own Language Danger
Godfather Of Ai Warning Chatbots Own Language Danger (Source: BBN24/Google/Social Media)

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की नींव रखने वाले और “गॉडफादर ऑफ AI” कहे जाने वाले जेफ्री हिंटन ने इस अत्याधुनिक तकनीक को लेकर एक बार फिर चौंकाने वाली चेतावनी दी है। उनका मानना है कि भविष्य में अगर AI चैटबॉट्स ने अपनी खुद की भाषा विकसित कर ली, तो यह तकनीक इंसानों के नियंत्रण से बाहर जा सकती है।

हिंटन ने कहा कि अभी AI अंग्रेज़ी जैसी मानव भाषाओं में सोचती है, जिससे डेवलपर्स को यह समझने में मदद मिलती है कि तकनीक क्या सोच रही है या क्या निर्णय ले सकती है। लेकिन यदि एआई ने भविष्य में अपनी एक अलग भाषा विकसित कर ली, तो वह अपने विचारों और योजनाओं को छिपा सकती है, जिसे इंसान कभी समझ ही नहीं पाएंगे।

“मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर AI अपनी सोच के लिए नई भाषा बना ले” – जेफ्री हिंटन

‘वन डिसीजन’ नामक पॉडकास्ट में अपने विचार साझा करते हुए हिंटन ने कहा:

“मुझे बिल्कुल आश्चर्य नहीं होगा अगर AI चैटबॉट्स सोचने के लिए एक नई भाषा बना लें। यह स्थिति वाकई डरावनी होगी क्योंकि तब हम इंसान यह नहीं जान पाएंगे कि वे क्या सोच रहे हैं या क्या करने वाले हैं।”

हिंटन ने यह भी कहा कि AI पहले भी कई बार भयानक विचारों की बात कर चुका है। ऐसे में यह कल्पना करना कि वह कुछ ऐसा करे जिसे इंसान ट्रैक न कर पाएं, अब अकल्पनीय नहीं है।

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“AI हमारी बौद्धिक क्षमता से आगे निकल सकता है”

हिंटन, जो मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग की मूल तकनीक के विकासकर्ता रहे हैं, ने बताया कि AI क्रांति केवल औद्योगिक क्रांति जैसी नहीं होगी, बल्कि यह इंसानी बौद्धिक क्षमता को भी पार कर सकती है।

“इंसानों ने अभी तक किसी ऐसी शक्ति का सामना नहीं किया है जो उनसे अधिक बुद्धिमान हो। AI इस मामले में पूरी मानव सभ्यता के लिए चुनौती बन सकता है।”

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गूगल से नाता तोड़ AI के खतरे पर चेताने लगे हिंटन

AI के बढ़ते प्रभाव और उससे जुड़ी चिंताओं को लेकर जेफ्री हिंटन ने कुछ समय पहले ही गूगल से अपने संबंध समाप्त कर दिए थे, ताकि वह खुलकर इस विषय पर अपनी राय रख सकें। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब समय आ गया है कि तकनीक के विकास के साथ-साथ उसके जोखिमों पर भी वैश्विक स्तर पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए।

AI का विकास जितना रोमांचक है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है। यदि AI चैटबॉट्स ने अपनी एक स्वतंत्र भाषा बना ली, तो इंसान उनके कार्यों और निर्णयों को समझने में असफल हो सकते हैं। जेफ्री हिंटन जैसे विशेषज्ञों की चेतावनी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या तकनीक का यह भविष्य हमारे लिए सुरक्षित है?

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