जर्मनी की एक स्टार्टअप कंपनी Exploration ने उन लोगों की अंतिम इच्छा को पूरा करने की कोशिश की, जो मरने के बाद भी अंतरिक्ष में रहना चाहते थे। इस मिशन के तहत 166 लोगों की राख को एक विशेष कैप्सूल में भरकर अंतरिक्ष में भेजा गया था। कंपनी ने इस अभियान का नाम दिया था – ‘Mission Possible’, जो अब मौत का मिशन बनता दिख रहा है।
हालांकि लॉन्च सफल रहा, लेकिन पृथ्वी की कक्षा में दो चक्कर लगाने के बाद ही यह स्पेस कैप्सूल वापसी की राह पर था और प्रशांत महासागर में गिर गया। यह घटना न केवल कंपनी के लिए झटका है, बल्कि उन परिजनों के लिए भी गहरा आघात है जिन्होंने अपनों की यादों को सितारों तक पहुंचाने का सपना देखा था।
कंपनी का दावा – मिशन रहा ‘आंशिक रूप से सफल’, तकनीकी खामी की जांच जारी
कैप्सूल बनाने वाली कंपनी Exploration ने एक आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट में जानकारी साझा करते हुए कहा कि हमारा कैप्सूल सफलतापूर्वक दो बार पृथ्वी की परिक्रमा कर चुका था। लॉन्चिंग के बाद यह कक्षा में स्थिर रहा, ब्लैकआउट के बाद कम्युनिकेशन भी दोबारा जुड़ा।
कंपनी ने लिखा, “कैप्सूल ने लॉन्चर से अलग होने के बाद खुद को स्थिर किया और ब्लैकआउट के बाद संपर्क भी स्थापित किया, जो एक तकनीकी सफलता है। लेकिन जब यह पृथ्वी की ओर लौटा, कुछ ही देर में इसका संपर्क टूट गया और यह Pacific Ocean में क्रैश कर गया।”
ग्राहकों से माफी, जल्द फिर उड़ान भरने का वादा
इस दुर्घटना के बाद कंपनी ने अपने ग्राहकों से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी है। उन्होंने कहा, “हम उन सभी लोगों से दिल से माफी मांगते हैं जिन्होंने अपने परिजनों के अवशेष हमें सौंपे थे। हमारी टीम ने रिकॉर्ड समय और कम लागत में यह प्रयास किया। इस अनुभव से हमें नई तकनीकी चुनौतियों और खतरों के बारे में समझ मिला है।”
कंपनी ने भरोसा जताया कि वे इस विफलता से सीख लेकर अगली उड़ान की योजना पहले से बेहतर बनाएंगे।