बिहार के Jamui जिले से चौंकाने वाली घटना सामने आई है जहां सोमवार रात Kodasi गांव में वारंटी की गिरफ्तारी के लिए पहुंची Bihar Police की टीम पर ग्रामीणों ने लाठी-डंडों और पत्थरों से हमला बोल दिया। पुलिस ने जब दो आरोपियों को हिरासत में लिया तो भीड़ बेकाबू हो गई। “चोर-चोर” के नारे लगाते हुए लोगों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। कई पुलिसकर्मी किसी तरह जान बचाकर भागे, लेकिन पुलिस वाहन पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिए गए।
Thane Ka Gherav: नरेश कोड़ा और लालकुमार की रिहाई की मांग
अगले ही दिन मंगलवार सुबह, कोड़ासी गांव के सैकड़ों महिला-पुरुष और बच्चे Lachhuad Police Station पहुंच गए। हिरासत में लिए गए Naresh Koda और Lal Kumar को रिहा करने की मांग को लेकर थाने का घेराव किया गया। ग्रामीणों ने पुलिस पर ही चोरी और महिलाओं के साथ अश्लील व्यवहार जैसे गंभीर आरोप लगा दिए, जिससे मामला और गरमा गया।
Law and Order पर गहरा सवाल
यह हमला राज्य की कानून-व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। वारंटी की गिरफ्तारी जैसे नियमित कार्य के दौरान पुलिस को भीड़ के हिंसक आक्रोश का सामना करना पड़ा। यह हमला सिर्फ पुलिस पर नहीं, बल्कि पूरे सरकारी सिस्टम पर है। सरकारी गाड़ियों को तोड़ना, पुलिस पर हमला करना एक गंभीर अपराध है जिसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए।
Tanavpurna Stithi: पुलिस के सामने बड़ी चुनौती
घटना के बाद से Lachhuad Thana पर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। ग्रामीण अभी भी डटे हुए हैं और प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं। सवाल यह है कि क्या बिहार में अब कानून का डर खत्म हो गया है? क्या पुलिस अपनी कार्रवाई से पीछे हटेगी या प्रशासन सख्ती से पेश आएगा?
Janch Jaari: निष्पक्ष जांच की मांग
ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोपों की सत्यता की पुष्टि जरूरी है। यदि पुलिस द्वारा कोई अनुचित व्यवहार किया गया है तो उस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन भीड़ द्वारा हिंसा करना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हो सकता। प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।