सबौर: बिहार कृषि विश्वविद्यालय (Bihar Agricultural University), सबौर, विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के अवसर पर 5 जून 2025 से सप्ताहभर चलने वाले विशेष कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रहा है। विश्वविद्यालय के नेचर क्लब द्वारा आयोजित इस अभियान का उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करना और ग्रामीण क्षेत्रों में वृक्षारोपण को बढ़ावा देना है। इस वर्ष की थीम है – “Ending Global Plastic Pollution” और कार्यक्रम का नाम रखा गया है – Zero Plastic for Effective Environment – More Plants।
कुलपति करेंगे उद्घाटन, मुख्य अतिथि होंगी श्वेता कुमारी
कार्यक्रम की शुरुआत 5 जून को सुबह 11 बजे विश्वविद्यालय के मिनी ऑडिटोरियम में होगी। कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में भागलपुर की वन प्रमंडल पदाधिकारी श्वेता कुमारी मुख्य अतिथि होंगी।
5 से 11 जून तक चलेगा अभियान, गांव-गांव होगा प्लास्टिक हटाने का कार्य
यह पर्यावरणीय सप्ताह 5 जून से 11 जून तक चलेगा, जिसके अंतर्गत कई क्रियात्मक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे – जैसे प्लास्टिक और परथेनियम खरपतवार हटाने के अभियान, साथ ही सुदूर ग्रामीण इलाकों में वृक्षारोपण कार्य। यह पहल केवल जागरूकता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह Developed India Sankalp-2047 पहल के तहत स्थानीय स्तर पर कार्यान्वयन पर केंद्रित है।
नेचर क्लब की भूमिका अहम, छात्र-शिक्षकों में दिख रहा जोश
5 जून 2023 को स्थापित नेचर क्लब ने एक वर्ष में ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई कदम उठाए हैं। पिछले साल इस क्लब ने जैव विविधता संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण, प्रतियोगिताएं, सेमिनार और सामुदायिक गतिविधियों का सफल आयोजन किया है।
इस वर्ष का अभियान और भी अधिक गांवों तक पहुंचने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इसमें छात्रों, शिक्षकों, स्वयंसेवकों, पर्यावरणविदों और स्थानीय नेताओं से भागीदारी की अपील की गई है ताकि दीर्घकालिक पारिस्थितिक संतुलन स्थापित किया जा सके।
‘सिंदूर शक्ति सिम्बोलिज़्म’ कार्यक्रम भी होगा आयोजन
5 जून को ही एक अन्य सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक कार्यक्रम “Sindoor Shakti Symbolism” भी आयोजित किया जाएगा। यह कार्यक्रम शाम 4 बजे से शुरू होगा और इसमें विश्वविद्यालय की महिला स्टाफ सदस्य सिंदूर पौधे रोपेंगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह करेंगे, जबकि मुख्य अतिथि होंगी जिला अधिकारी कुमारी रजनी। यह वृक्षारोपण सेंट्रल लाइब्रेरी के पीछे Dye Park के रूप में विकसित क्षेत्र में किया जाएगा, जो नारी शक्ति को प्रकृति के माध्यम से सम्मान देने का प्रतीक होगा।
शिक्षा और संस्कृति के मेल से नई मिसाल कायम कर रहा है विश्वविद्यालय
बिहार कृषि विश्वविद्यालय का यह प्रयास पर्यावरण विज्ञान को सांस्कृतिक चेतना के साथ जोड़ता है, जिससे यह केवल शैक्षणिक संस्था न रहकर एक सशक्त सामाजिक और पारिस्थितिक आंदोलन का केंद्र बन गया है।
अगर आप इस कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं या जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर विज़िट करें या संबंधित विभाग से संपर्क करें।