पटना: बिहार इस समय प्रचंड गर्मी की गिरफ्त में है और इसके असर से बिजली की मांग आसमान छू रही है। मंगलवार रात 10 बजे राज्य में बिजली की खपत 8303 मेगावाट तक पहुंच गई—जो अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इससे पहले 23 सितंबर 2024 को अधिकतम खपत 8005 मेगावाट दर्ज की गई थी।
ऊर्जा विभाग के अनुसार, जैसे-जैसे लू और उमस बढ़ रही है, वैसे-वैसे यह मांग और ऊपर जा सकती है। विभाग को आशंका है कि आने वाले हफ्तों में खपत 9000 मेगावाट का आंकड़ा भी पार कर सकती है।
2005 से 2025 तक: बिजली व्यवस्था में जबरदस्त सुधार
ऊर्जा मंत्री Bijendra Prasad Yadav ने कहा कि मुख्यमंत्री Nitish Kumar की अगुवाई में बिहार की बिजली व्यवस्था ने बीते दो दशकों में लंबी छलांग लगाई है।
- 2005 में अधिकतम मांग: 700 मेगावाट
- अब (2025 में): 8303 मेगावाट
- बिजली उपभोक्ता: 17 लाख से बढ़कर 2.13 करोड़
- प्रति व्यक्ति खपत: 70 यूनिट से बढ़कर 360 यूनिट
ये आंकड़े राज्य की तेज़ी से हो रही आर्थिक, शहरी और औद्योगिक तरक्की को दर्शाते हैं।
सस्ती बिजली बनी बिहार की पहचान
राज्य सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में ₹15,995 करोड़ की सब्सिडी बिजली क्षेत्र में दी है। इससे उद्योगों, किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को किफायती दर पर बिजली मिल रही है। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि पड़ोसी राज्यों Uttar Pradesh और West Bengal की तुलना में बिहार में बिजली दरें कम हैं, जिससे निवेश और विकास को बल मिल रहा है।
बिजली से बदल रही है ग्रामीण और औद्योगिक तस्वीर
- शहरी इलाकों में 23–24 घंटे की बिजली आपूर्ति
- ग्रामीण क्षेत्रों में 21–22 घंटे की बिजली उपलब्धता
- स्मार्ट मीटर, सोलर पैनल और ग्रिड अपग्रेडेशन पर ज़ोर
- इंडस्ट्रियल ग्रोथ, डिजिटल एजुकेशन, कोल्ड स्टोरेज, सिंचाई और स्टार्टअप्स को मिला संबल
ऊर्जा विभाग ने अगले तीन साल में 10,000 मेगावाट की मांग का पूर्वानुमान जताया है और इसके लिए व्यापक योजनाएं तैयार की गई हैं।
बिजली का नया बिहार: ऊर्जा-सक्षम राज्य की ओर
यह केवल एक टेक्निकल रिकॉर्ड नहीं है—यह बिहार की social, economic और industrial growth का ठोस संकेत है। जिस तरह से सरकार हर स्तर पर बिजली व्यवस्था को मजबूत कर रही है, वह दिन दूर नहीं जब बिहार देश के टॉप एनर्जी एफिशिएंट राज्यों में शुमार होगा।