पटना: जातिगत जनगणना को लेकर बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने केंद्र सरकार पर जानबूझकर आंकड़े न जारी करने का आरोप लगाया है। RJD के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर Manoj Kumar Jha ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था में 16 प्रतिशत हकमारी हो रही है, और इस पर सरकार चुप है।
नेता प्रतिपक्ष Tejashwi Yadav ने 4 जून 2025 को मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी, जिसमें बहुजन समाज को हक और अधिकार दिलाने की बात कही गई थी। लेकिन, इस पत्र पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है – न तो उसकी पावती रसीद मिली और न ही जवाब।
जातिगत जनगणना: भाजपा का चेहरा बेनकाब?
प्रो. मनोज झा ने कहा कि “Pahalgam” की दुखद घटना के बाद प्रधानमंत्री को अचानक जातिगत जनगणना की याद आई और जल्दबाज़ी में घोषणा कर दी गई। लेकिन BJP का असली चेहरा—जो आरक्षण और बहुजन अधिकारों के खिलाफ रहा है—अब सामने आ चुका है।
उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ दिखावे के लिए घोषणाएं कर रही है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कुछ नहीं हो रहा। इस विषय में ना पारदर्शिता है, ना ही कोई ठोस योजना।
आरक्षण व्यवस्था पर 16% की ‘हकमारी’
राजद उपाध्यक्ष Uday Narayan Choudhary ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि जातीय जनगणना महज़ एक छलावा बन गई है। प्रदेश प्रवक्ता Shakti Singh Yadav ने कहा कि अगर 65% आरक्षण व्यवस्था को केंद्र सरकार 9वीं अनुसूची में शामिल कर देती, तो आज 16% आरक्षण की कटौती नहीं होती।
उन्होंने Chirag Paswan पर भी सवाल उठाया कि वे “Bihar First, Bihari First” का नारा देते हैं, लेकिन दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के हक की बात पर चुप क्यों हैं?
क्या केंद्र सरकार बहुजनों के साथ कर रही है अन्याय?
राजद नेताओं का कहना है कि सरकार की नीतियां बहुजन विरोधी हैं और जानबूझकर आरक्षण प्रणाली को कमजोर किया जा रहा है। तेजस्वी यादव ने जो मुद्दा उठाया है, वह सिर्फ एक राजनीतिक पत्र नहीं, बल्कि करोड़ों वंचित वर्गों की आवाज़ है।
अब सवाल यह है कि क्या केंद्र सरकार इस आवाज़ को सुनेगी या फिर बहुजन समाज के अधिकारों को दबाने की कोशिश जारी रखेगी?