बिहार के इन 5 रहस्यमयी कांवर रूट्स से जुड़ी हैं चमत्कारी मान्यताएं! जानें पूरा रास्ता, सावन में उमड़ा आस्था का सैलाब

सावन में लाखों शिवभक्त बिहार के पांच पवित्र कांवर यात्रा मार्ग से बाबा वैद्यनाथ, गरीबनाथ समेत शिवधामों तक पहुंचते हैं – हर रूट के पीछे है अनसुनी कहानी

Bihar Kanwar Yatra Route 2025
Bihar Kanwar Yatra Route 2025 (Source: BBN24/Google/Social Media)
मुख्य बातें (Highlights)
  • बिहार के 5 कांवर यात्रा रूट सावन में लाखों भक्तों से गुलजार
  • हर रूट के पीछे है गहराई से जुड़ी धार्मिक मान्यता
  • सुल्तानगंज से देवघर रूट सबसे प्रसिद्ध और व्यस्त मार्ग

सावन महीने में बिहार का सबसे व्यस्त और श्रद्धा से लबालब कांवर रूट सुल्तानगंज से शुरू होकर झारखंड के देवघर तक जाता है। यहां से कांवरिये Ajgaibinath Dham (अजगैवीनाथ धाम) से पवित्र गंगाजल लेकर असरगंज, तारापुर और कटोरिया होते हुए Baba Baidyanath Dham (बाबा वैद्यनाथ धाम) में जल अर्पण करते हैं।
वैकल्पिक मार्ग: अकबरनगर – अमरपुर – बांका – ढाकामोड़ – हसडीहा होते हुए भी देवघर जाया जा सकता है।

पहलेजा घाट से गरीबनाथ – श्रद्धा का दूसरा मुख्य केंद्र

सोनपुर के पास Pahleja Ghat से जल लेकर कांवरिये हाजीपुर होते हुए मुजफ्फरपुर के Baba Garibnath Temple (बाबा गरीबनाथ मंदिर) तक 65 किमी लंबा सफर तय करते हैं। यह रूट सावन में भीड़भाड़ के कारण हर सप्ताहांत पर विशेष रूप से ट्रैफिक फ्री रहता है।
वैकल्पिक मार्ग: हाजीपुर से लालगंज या महुआ के रास्ते मुजफ्फरपुर।

फतुहा से सिद्धेश्वर नाथ – फल्गु नदी पार कर भक्ति का सफर

पटना से गंगा जल लेकर कांवरिये नालंदा होते हुए हुलासगंज के रास्ते Falgu River पार कर Barabar Hills (बराबर पर्वत) स्थित Baba Siddheshwarnath (बाबा सिद्धेश्वरनाथ) मंदिर में जल चढ़ाते हैं।
वैकल्पिक मार्ग: एनएच 22 से मखदुमपुर होते हुए बराबर।

डुमरियाघाट से धनेश्वरनाथ – नारायणी व गंगा संगम की आस्था

गोपालगंज और सारण जिले के Dumaria GhatDoriganj Ghat से जल लेकर कांवरिये एनएच-27 होते हुए पकड़ी मोड़ पहुंचते हैं, वहां से दो किलोमीटर पैदल चलकर Baba Dhaneshwarnath (बाबा धनेश्वरनाथ) को जल चढ़ाते हैं।
वैकल्पिक मार्ग: गरौली चंवर – मठिया बाजार – उसरी – दिघवा दुबौली से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

रामरेखा घाट से ब्रह्मेश्वरनाथ – छोटा रास्ता, बड़ी आस्था

बक्सर में Ramrekha Ghat से गंगाजल लेकर कांवरिये महज 33 किमी की यात्रा कर Baba Brahmeshwar Nath Temple (बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर) तक पहुंचते हैं। सावन के प्रत्येक सोमवार को इस फोरलेन सड़क का एक लेन कांवरियों के लिए सुरक्षित कर दिया जाता है।

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