वैशाली, बिहार में बनकर तैयार हुआ Buddha Samyak Darshan Museum-cum-Smriti Stupa अब उद्घाटन की कगार पर है। यह भारत का सबसे ऊंचा पत्थर का स्मारक (stone monument) बनने जा रहा है, जिसे पूरी तरह से बिना सीमेंट और ईंट के सिर्फ पत्थरों से निर्मित किया गया है।
33.10 मीटर ऊंचाई वाला यह स्मृति स्तूप, प्रसिद्ध Sanchi Stupa की ऊंचाई से लगभग दुगना है और इसका बाहरी व्यास 49.80 मीटर है। यह स्तूप बिहार के वैशाली जिले में पवित्र Pushkarni pond और ऐतिहासिक Mitti Stupa के पास 72.94 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है।
आधुनिक तकनीक और प्राचीन निर्माण का संगम
इस अद्भुत संरचना को बनाने में लगभग ₹550.48 करोड़ की लागत आई है। इसके निर्माण में Bansi Paharpur (राजस्थान) से लाए गए गुलाबी बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, जिनका उपयोग Ram Temple, Ayodhya में भी किया गया था। कुल 38,500 पत्थर ब्लॉक्स में से कुछ का वजन 12 टन तक है।
विशेष बात यह है कि इस स्मृति स्तूप को पूरी तरह से पत्थरों से जोड़ा गया है – बिना किसी सीमेंट या कंक्रीट के। IIT Delhi की Rock Mechanics Team ने पत्थर के चयन में अहम भूमिका निभाई। यह भूकंप-रोधी (earthquake-resistant) तकनीक से सुसज्जित है, जिससे इसकी स्थायित्वता सदियों तक बनी रहेगी।
बुद्ध के अवशेष होंगे प्रतिष्ठित
इस स्तूप के भीतर Lord Buddha के अस्थि अवशेषों को स्थापित किया जाएगा, जो खुद वैशाली में खोजे गए थे। इससे यह स्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल बन जाएगा।
बौद्ध जीवन पर केंद्रित दो संग्रहालय
इस भव्य परिसर में दो प्रमुख संग्रहालय बनाए जा रहे हैं, जिनमें Buddha के जीवन की घटनाओं को चित्रों, प्रतिमाओं और तकनीकी माध्यमों से दर्शाया जाएगा। यहां आगंतुकों को बुद्ध धर्म की उत्पत्ति और उसके विकास की पूरी यात्रा समझने को मिलेगी।
आधुनिक सुविधाओं से युक्त भव्य परिसर
पूरे परिसर में संग्रहालय, विज़िटर सेंटर, पुस्तकालय, ध्यान केंद्र, गेस्ट हाउस, एम्फीथिएटर, पार्किंग, कैफेटेरिया जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। साथ ही पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए 2.71 लाख वर्ग मीटर में आम के बाग लगाए गए हैं और 500 किलोवॉट की सौर ऊर्जा परियोजना भी स्थापित की गई है।
प्राचीनता और आधुनिकता का मेल
प्रशासन का लक्ष्य है कि नए स्मृति स्तूप को पुराने Mitti Stupa से जोड़ा जाए ताकि वैशाली का पुरातात्विक और धार्मिक महत्व एकीकृत रूप से सामने आ सके।
पर्यटन को मिलेगा नया आयाम
अधिकारियों का कहना है कि यह स्तूप देश-विदेश के बौद्ध श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। यह स्मृति स्तूप न केवल भारत की स्थापत्य कला की मिसाल बनेगा, बल्कि बुद्ध के विचारों को भी आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएगा।
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— Building Construction Dept. Bihar (@BcdBihar) June 29, 2025