20 हजार की चाय का स्वाद? सहरसा CO और कंप्यूटर ऑपरेटर की घूसखोरी पर निगरानी का छापा!

सहरसा के पतरघट अंचल कार्यालय में CO राकेश कुमार और ऑपरेटर राहुल कुमार रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए, जमीन दाखिल-खारिज के एवज में मांगे थे 20 हजार रुपये

Co Computer Operator Caught Taking Bribe Saharsa
Co Computer Operator Caught Taking Bribe Saharsa (Source: BBN24/Google/Social Media)

बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही Vigilance Investigation Bureau (निगरानी अन्वेषण ब्यूरो) ने शुक्रवार, 11 जुलाई को सहरसा जिले के पतरघट अंचल कार्यालय में बड़ी कार्रवाई की। अंचलाधिकारी (CO) राकेश कुमार और कंप्यूटर ऑपरेटर राहुल कुमार को 20,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि ये दोनों एक ज़मीन के दाखिल-खारिज के बदले पैसे मांग रहे थे।

शिकायतकर्ता की बहन की जमीन के दाखिल-खारिज में मांगी गई रिश्वत

कैलाश यादव, जो तिलाठी (थाना पतरघट) के निवासी हैं, ने निगरानी अन्वेषण ब्यूरो, पटना में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि वे अपनी बहन द्रोपदी देवी की 61.98 डिसमिल जमीन का दाखिल-खारिज करवाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने ऑनलाइन आवेदन किया और बाद में CO राकेश कुमार से संपर्क किया। CO ने ₹20,000 की मांग की और कंप्यूटर ऑपरेटर राहुल कुमार से पैसे लेकर आने को कहा।

निगरानी टीम ने पहले की पुष्टि, फिर जाल बिछाकर किया ट्रैप

शिकायत की जांच उप निरीक्षक मनिकांत सिंह द्वारा की गई और सत्यापन के बाद आरोप सही पाए गए। इसके बाद निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के DSP विन्ध्याचल प्रसाद के नेतृत्व में एक धावादल का गठन किया गया। योजना के अनुसार, जब कैलाश यादव पैसे लेकर पहुंचे, तो दोनों आरोपी उन्हें स्वीकार करते समय पकड़े गए।

अब तक 52 केस दर्ज, 47 गिरफ्तार, 17 लाख की रिश्वत बरामद

निगरानी ब्यूरो के अनुसार, वर्ष 2025 में अब तक भ्रष्टाचार से जुड़े 52 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें से यह 43वां ट्रैप केस है जिसमें 47 आरोपी रंगे हाथ पकड़े गए हैं। अब तक ₹17,12,000 की रिश्वत की रकम जब्त की जा चुकी है। राकेश कुमार और राहुल कुमार को जल्द ही माननीय विशेष निगरानी न्यायालय, भागलपुर में प्रस्तुत किया जाएगा।

घूसखोरों की आदत नहीं सुधर रही, निगरानी की रफ्तार तेज

यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि घूसखोर अधिकारी अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे। “हम नहीं सुधरेंगे” वाला रवैया अब भी कई सरकारी दफ्तरों में देखा जा सकता है। लेकिन निगरानी ब्यूरो की सख्ती भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कस रही है।

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