गंगा, कोसी और अन्य प्रमुख नदियों में जमा होने वाली गाद (silt) हर साल बिहार के कई इलाकों को बाढ़ की चपेट में ला देती है। इस बार केंद्र सरकार ने इस समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में कदम बढ़ाया है। गुरुवार को अमित शाह की अध्यक्षता में रांची में हुई पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में सिल्ट मैनेजमेंट पॉलिसी (Silt Management Policy) बनाने की सहमति दी गई। यह नीति बिहार सरकार की पुरानी मांग रही है, जिसे अब मंजूरी मिल गई है।
सम्राट चौधरी ने उठाई थी आवाज
बैठक में बिहार की ओर से भाग लेते हुए उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि हर साल नदियों से आने वाली गाद बिहार के लिए बाढ़ का मुख्य कारण बनती है। उन्होंने बताया कि अब इस पर व्यापक और सुव्यवस्थित गाद प्रबंधन नीति बनेगी, जो जल ग्रहण क्षेत्र में जमा गाद को नियंत्रित करेगी।
सोन नदी के पानी को लेकर भी बना फॉर्मूला
इस बैठक में वर्षों पुराने इंद्रपुरी जलाशय-बाणसागर समझौते के तहत सोन नदी के जल बंटवारे पर भी सहमति बनी। इसमें बिहार को 5.75 एमएएफ और झारखंड को 2.00 एमएएफ पानी देने पर सहमति बनी है।
गंगा की अविरलता और कटाव रोकथाम पर केंद्रित चर्चा
सम्राट चौधरी ने बैठक में फरक्का बैराज के कारण गंगा की प्रवाह में आई रुकावट पर चिंता जताई। उन्होंने गंगा की अविरलता बनाए रखने और बिहार-पश्चिम बंगाल सीमा पर हो रहे कटाव को रोकने के लिए केंद्र सरकार से 100% खर्च वहन करने का अनुरोध किया।
नेपाल से आने वाली नदियों पर समन्वित नीति की मांग
बैठक में नेपाल तथा अन्य राज्यों से आने वाली नदियों के जल प्रवाह और प्रबंधन पर भी चर्चा हुई। सम्राट ने कहा कि इसके लिए एक राष्ट्रीय स्तर की समन्वित जल नीति जरूरी है, ताकि आपसी टकराव के बजाय समाधान मिल सके।
विकास और समन्वय की नई रफ्तार
बैठक में जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी और मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा भी मौजूद रहे। सभी ने माना कि भारत सरकार और राज्यों के संयुक्त प्रयासों से अब क्षेत्रीय विकास की रफ्तार तेज हो रही है और लंबे समय से अटकी समस्याओं के समाधान का रास्ता खुल रहा है।