सिर्फ 4 घंटे में पटना से दिल्ली! बिहार में बुलेट ट्रेन के लिए सर्वे पूरा, लेकिन रास्ते में हैं कई बड़े रोड़े

बुलेट ट्रेन की रफ्तार से बदलेगा बिहार का भविष्य, 3900 पेड़ों की बलि और 135 हेक्टेयर ज़मीन पर टिकी है योजना की सफलता

Patna Delhi Bullet Train Survey Completed
Patna Delhi Bullet Train Survey Completed (Source: BBN24/Google/Social Media)

Patna: बिहारवासियों के लिए बड़ी खबर है! भारत के महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का सर्वे अब पूरा हो चुका है और यह हाई-स्पीड रेल Delhi-Howrah Bullet Train रूट के तहत पटना को जोड़ने की तैयारी में है। रेलवे मंत्रालय को सर्वे रिपोर्ट सौंप दी गई है, जिससे अब इस बहुप्रतीक्षित योजना को धरातल पर लाने की प्रक्रिया तेज हो सकती है।

1,669 किलोमीटर लंबा यह रूट पटना-Delhi की दूरी महज 4 घंटे में तय करेगा, वहीं Howrah की दूरी सिर्फ 2 घंटे में। वर्तमान में पटना से दिल्ली जाने में 13 से 14 घंटे लगते हैं। परियोजना की कुल लागत ₹5 लाख करोड़ आंकी गई है।

कैसा होगा बुलेट ट्रेन का रूट बिहार में?

योजना के अनुसार बुलेट ट्रेन रूट दो चरणों में तैयार होगा—पहला चरण Delhi से Varanasi तक और दूसरा चरण Varanasi से Howrah तक। बिहार में यह रूट Buxar, Patna, Kiul और Asansol से होते हुए गुजरेगा।

बुलेट ट्रेन का स्टॉप पटना जंक्शन पर नहीं बल्कि Phulwari Sharif के पास प्रस्तावित स्टेशन पर होगा। इसके बाद अगला स्टॉप सीधे Asansol में होगा।

कम खर्च, ज्यादा फायदा: पुराने ट्रैक के साथ बनेगा नया हाई-स्पीड रूट

बुलेट ट्रेन के लिए नए कॉरिडोर की जगह दो अतिरिक्त पटरियां मौजूदा रेलवे ट्रैक के साथ बनाई जाएंगी। इससे जमीन अधिग्रहण की जरूरत कम होगी और परियोजना की लागत में भी कटौती होगी।

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “बिहार में पहले से रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है, इसलिए चौथा कॉरिडोर अलग से बनाना काफी महंगा होता। अब सिर्फ कुछ जगहों पर जमीन ली जाएगी।”

पटना जिले में बुलेट ट्रेन के लिए 60.90 KM एलिवेटेड रूट और 3900 पेड़ों की बलि

पटना जिले में 60.90 किलोमीटर का Elevated Corridor प्रस्तावित है, जिसके लिए करीब 135 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी। इसके अलावा 3900 पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जाएगा, लेकिन पिछले अनुभवों में Patna में ट्रांसप्लांटेड पेड़ जीवित नहीं रह पाए हैं। इससे परियोजना की पारिस्थितिक चुनौती और बढ़ जाती है।

क्या हैं अगली चुनौतियाँ?

  • विस्तृत डिज़ाइन और DPR (Detailed Project Report) की तैयारी
  • फंडिंग का निर्णय और केंद्र-राज्य समन्वय
  • भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय स्वीकृतियाँ

परियोजना की तैयारी तो जोरों पर है, लेकिन असली जंग अब जमीन, पर्यावरण और फंडिंग को लेकर लड़ी जाएगी।

Share This Article
Exit mobile version