SEBI की सख्ती पर Zerodha CEO Nithin Kamath की प्रतिक्रिया: Jane Street पर बैन से उठे बड़े सवाल

SEBI ने अमेरिकी फर्म Jane Street पर लगाया बैन, Zerodha के CEO बोले- "अगर आरोप सही हैं तो ये खुला मार्केट मैनिपुलेशन है"

Nithin Kamath Reaction On Sebi Ban Jane Street
Nithin Kamath Reaction On Sebi Ban Jane Street (Source: BBN24/Google/Social Media)
मुख्य बातें (Highlights)
  • SEBI ने Jane Street को Bank Nifty हेराफेरी के आरोप में बैन किया
  • Zerodha CEO ने SEBI की कार्रवाई को बताया "जरूरी और साहसिक"
  • प्रोप्रायटरी फर्म्स के हटने से F&O ट्रेडिंग पर पड़ेगा बड़ा असर

नई दिल्ली: SEBI द्वारा अमेरिकी ट्रेडिंग कंपनी Jane Street और उसके ग्रुप एंटिटीज़ को भारतीय बाजार से प्रतिबंधित किए जाने के बाद, Zerodha के CEO Nithin Kamath ने भारतीय रेगुलेटर की तारीफ करते हुए कहा कि भारत का मजबूत नियामक ढांचा पश्चिमी बाजारों की तरह भ्रामक ट्रेडिंग प्रैक्टिस को अनुमति नहीं देता।

X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए Nithin Kamath ने कहा, “भारत में इस तरह की प्रैक्टिस की कोई जगह नहीं है, इसका श्रेय हमारे रेगुलेटर्स को जाता है।” उन्होंने अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली डार्क पूल्स और ‘पेमेंट फॉर ऑर्डर फ्लो’ जैसी तकनीकों का हवाला दिया, जिन्हें अक्सर हेज फंड्स के पक्ष में माना जाता है और जो रिटेल इन्वेस्टर्स के खिलाफ जाती हैं।

Bank Nifty में हेराफेरी का आरोप

SEBI की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार, Jane Street और उससे जुड़ी संस्थाओं ने जटिल इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रैटेजीज़ का इस्तेमाल करके Bank Nifty Index में हेराफेरी की। रिपोर्ट में कहा गया कि जनवरी 2023 से मार्च 2025 के बीच कंपनी ने ₹43,289 करोड़ से ज्यादा का मुनाफा कमाया, खासतौर पर एक्सपायरी वाले दिनों में इंडेक्स को कृत्रिम रूप से ऊपर-नीचे करके।

Nithin Kamath ने कहा, “अगर ये आरोप सही हैं, तो ये मार्केट मैनिपुलेशन का सबसे स्पष्ट उदाहरण है।” उन्होंने ये भी जोड़ा कि एक्सचेंजेस से अलर्ट मिलने के बावजूद कंपनी का गतिविधि जारी रखना दिखाता है कि कैसे कुछ कंपनियां ढीले रेगुलेशन की आदी हो चुकी हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग पर पड़ेगा असर?

हालांकि Kamath ने यह भी आगाह किया कि Jane Street जैसी प्रोप्रायटरी ट्रेडिंग कंपनियां भारतीय ऑप्शन मार्केट में लगभग 50% योगदान देती हैं। अगर वे पीछे हटती हैं, तो इससे रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी (जो करीब 35% है) पर भी असर पड़ सकता है।

“यह एक्सचेंज और ब्रोकर्स दोनों के लिए बुरी खबर हो सकती है,” Kamath ने कहा।

उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले कुछ दिन इस बात की परीक्षा होंगे कि भारतीय बाजार कितनी हद तक बड़ी ट्रेडिंग कंपनियों पर निर्भर है।

“F&O वॉल्यूम्स दिखा सकते हैं कि हम इन बड़ी कंपनियों पर कितने निर्भर हैं,” Kamath ने कहा।

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