ईरान और इजरायल के बीच जारी टकराव अब वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित करने की ओर बढ़ रहा है। अगर हालात और बिगड़ते हैं, तो ईरान Strait of Hormuz को बंद करने का कदम उठा सकता है, जो दुनिया की सबसे व्यस्ततम तेल आपूर्ति गलियों में से एक है। भारत, जो अपनी ऊर्जा जरूरतों का 90% तेल आयात करता है, इस कदम से सीधा प्रभावित होगा।
क्या है Strait of Hormuz और क्यों है इतना अहम?
Strait of Hormuz फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी से जोड़ता है और यही एकमात्र रास्ता है जिससे फारस की खाड़ी से दुनिया भर में तेल और गैस की आपूर्ति होती है। इस जलमार्ग से प्रतिदिन करीब 2 करोड़ बैरल क्रूड ऑयल गुजरता है। भारत सऊदी अरब, कुवैत, इराक जैसे देशों से तेल का बड़ा हिस्सा इसी रास्ते से मंगाता है। अगर ईरान इस रास्ते को बंद करता है तो भारत की कुल क्रूड सप्लाई का 40% और एलएनजी सप्लाई का 54% तक प्रभावित हो सकता है।
भारत ने शुरू की तैयारी, पर संकट अभी टला नहीं
सरकारी अधिकारियों ने इस संभावित संकट पर निगरानी बढ़ा दी है। Ministry of Petroleum की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों जैसे पश्चिम अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा, भारत के पास 74 दिनों की राष्ट्रीय खपत के बराबर तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का स्टोरेज है, जिसमें 9.5 दिनों का रणनीतिक भंडार भी शामिल है।
रिफाइनरियां ‘पैनिक बाइंग’ से बच रही हैं
हालांकि फिलहाल भारत में तेल कंपनियां किसी भी तरह की ‘panic buying’ से बच रही हैं। अफ्रीकी देशों से आयात में गिरावट जरूर दर्ज की गई है—जहां अप्रैल में 12% था वहीं मई में यह 5% तक सिमट गया। इसके बावजूद भारत की प्राथमिकता स्थिरता बनाए रखना और लंबी अवधि के लिए ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
अगर रास्ता बंद हुआ तो क्या होगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर Strait of Hormuz बंद होता है, तो वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतें तेजी से बढ़ेंगी। भारत के लिए भी यह एक बड़ा आर्थिक झटका होगा। आपूर्ति में कटौती होने से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं, जिससे महंगाई और ट्रांसपोर्टेशन लागत पर भी असर पड़ेगा। साथ ही, इससे वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका को भी बल मिल सकता है।