बिहार की सियासत एक बार फिर उबाल पर है। कारण है – बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के कथित अपमान को लेकर माफी मांगने से लालू यादव परिवार का इनकार। इस मुद्दे ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस (INC Bihar) के अंदर दलित और पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ताओं में असंतोष की आग भड़का दी है।
सम्राट चौधरी का तीखा ट्वीट बना विवाद का केंद्र
बिहार के उपमुख्यमंत्री Samrat Chaudhary ने अपने X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर टिप्पणी करते हुए लिखा:
“बाबा साहब के अपमान को लेकर @RJDforIndia और @INCBihar में अंदरूनी हलचल है। कार्यकर्ता चाहते हैं कि लालू प्रसाद यादव या तेजस्वी यादव सार्वजनिक रूप से माफी माँगें, लेकिन ‘परिवार’ इसके लिए तैयार नहीं है।”
सम्राट चौधरी ने इस पोस्ट में ‘परिवार पार्टी’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए लालू परिवार की आलोचना की और कहा कि पार्टी में सिर्फ परिवार की ही चलती है।
दलित कार्यकर्ताओं में नाराज़गी, माफ़ी की कर रहे मांग
RJD और कांग्रेस दोनों के ही दलित वर्ग से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि बाबा साहब अंबेडकर का अपमान एक साधारण राजनीतिक गलती नहीं बल्कि पूरे दलित समुदाय के आत्मसम्मान पर चोट है। उनका कहना है कि जब तक लालू यादव या Tejashwi Yadav सार्वजनिक तौर पर खेद प्रकट नहीं करते, तब तक यह विवाद शांत नहीं होगा।
लालू परिवार का साफ़ जवाब – “माफ़ी नहीं माँगेंगे”
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो लालू परिवार का रुख स्पष्ट है – “कुछ भी हो जाए, हम माफी नहीं माँगेंगे।” इस रवैये से पार्टी के भीतर खासकर पिछड़ा और दलित वर्ग के कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष पनप रहा है।
एक RJD नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा –
“पार्टी में आम कार्यकर्ता की कोई नहीं सुनता, सब कुछ परिवार के इशारे पर चलता है। ये लोकतांत्रिक दल कम, पारिवारिक संस्था ज़्यादा लगती है।”
राजनीतिक नुकसान की आशंका, चुनावी समीकरण पर असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह मुद्दा यूं ही खिंचता रहा, तो आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में RJD और कांग्रेस को दलित मतदाताओं का भरोसा गंवाना पड़ सकता है।
बिहार में दलित और पिछड़ा वर्ग की भूमिका किसी भी चुनाव में निर्णायक होती है, और इन समुदायों की नाराज़गी, वोट ट्रेंड को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।
विरोध प्रदर्शनों की तैयारी, बढ़ रहा दबाव
घटना के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के चलते RJD और कांग्रेस पर “मौन समर्थन” का आरोप लग रहा है। कई दलित संगठनों ने तेजस्वी यादव से सार्वजनिक जवाब माँगा है और चेतावनी दी है कि यदि जल्द माफ़ी नहीं माँगी गई तो आंदोलन शुरू होगा।
पटना, गया, दरभंगा और आरा जैसे जिलों में धरना-प्रदर्शन की योजनाएं बनाई जा रही हैं।
क्या यह मामला RJD की साख को कर देगा कमजोर?
बाबा साहब के अपमान जैसे संवेदनशील मुद्दे पर RJD और कांग्रेस का रुख केवल आंतरिक राजनीति नहीं, बल्कि उनकी जनता में स्वीकार्यता को भी तय करेगा। अगर जल्द कोई संतोषजनक कदम नहीं उठाया गया, तो यह मामला आने वाले चुनावों में राजनीतिक घाटे का कारण बन सकता है।