बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन को लेकर सियासी तूफान खड़ा हो गया है। RJD सुप्रीमो Lalu Prasad Yadav और नेता प्रतिपक्ष Tejashwi Yadav ने केंद्र और राज्य सरकार के साथ-साथ चुनाव आयोग पर लोकतंत्र के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है।
लालू का तीखा वार – “दो गुजराती छीन रहे हैं वोट का अधिकार”
Lalu Prasad Yadav ने अपने एक्स (Twitter) पोस्ट में दो टूक शब्दों में लिखा,
“दो गुजराती मिलकर 8 करोड़ बिहारियों के वोट का अधिकार छिनने का प्रयास कर रहे हैं। इन दो गुजरातियों को बिहार, संविधान और लोकतंत्र से सख़्त नफ़रत है। जागो और आवाज़ उठाओ! लोकतंत्र और संविधान बचाओ!!”
लालू के इस बयान को सीधे तौर पर PM Narendra Modi और CM Nitish Kumar की तरफ इशारा माना जा रहा है।
तेजस्वी यादव बोले – “यह वोटबंदी है, दलित-पिछड़ों को टारगेट किया जा रहा”
Tejashwi Yadav ने भी एक्स पर लिखा,
“बिहार में वोटबंदी की गहरी साजिश। दलित-पिछड़ा-अतिपिछड़ा और अल्पसंख्यक के वोट काटने और फर्जी वोट जोड़ने का खेल शुरू। मोदी-नीतीश संविधान और लोकतंत्र को कुचलने तथा आपके मत का अधिकार छिनने के लिए संकल्पित होकर चुनाव आयोग के माध्यम से कार्य कर रहे हैं। ये लोग प्रत्यक्ष हार देखकर अब बौखला गए हैं।”
तेजस्वी के इस बयान से साफ है कि RJD इस पूरे मामले को समाज के वंचित वर्गों से जोड़कर सत्ता पक्ष को घेरने की रणनीति पर काम कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला, 10 जुलाई को होगी सुनवाई
इस विवाद ने अब Supreme Court की चौखट तक दस्तक दे दी है। मतदाता सूची से लाखों नाम हटाए जाने की आशंका को लेकर कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। याचिकाकर्ताओं ने इसे असंवैधानिक और जनविरोधी करार देते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता Kapil Sibal ने सोमवार को इस मामले को न्यायालय के सामने रखा, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई, गुरुवार को सुनवाई की सहमति दे दी है। अब सभी की निगाहें उस दिन होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं।
क्या ये वोटर वेरिफिकेशन है या लोकतंत्र पर हमला?
बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है और आगामी विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष इसे जनविरोधी कदम बताकर जनता के बीच ले जाने की तैयारी में है। सवाल यह है कि क्या यह महज वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया है या वाकई में लोकतंत्र की जड़ों को हिलाने की कोई बड़ी साजिश?