पटना: बिहार की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी 9 जुलाई को पटना दौरे पर आ रहे हैं, जहां वह Special Intensive Revision (SIR) के खिलाफ महागठबंधन द्वारा आयोजित चक्का जाम आंदोलन का नेतृत्व करेंगे। इस दौरान गोपाल खेमका हत्याकांड के पीड़ित परिवार से मुलाकात की भी संभावना जताई जा रही है, जिसने सियासी पारा और बढ़ा दिया है।
बिहार में चक्का जाम: सड़कों पर उतरेगा विपक्ष
राजधानी पटना समेत राज्य के कई हिस्सों में 9 जुलाई को महागठबंधन ने चक्का जाम का ऐलान किया है। आंदोलन का केंद्र बिंदु SIR प्रक्रिया है, जिसे विपक्ष जनविरोधी और पक्षपातपूर्ण बता रहा है। कांग्रेस का कहना है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण की यह प्रक्रिया गरीबों, प्रवासियों और वंचित तबकों के वोट अधिकार को छीनने की साजिश है।
चक्का जाम के दौरान डाकबंगला चौराहा, गांधी मैदान, कंकड़बाग, अशोक राजपथ जैसे मुख्य मार्गों पर आवागमन पूरी तरह ठप रहेगा। राजद (RJD) और वाम दलों ने भी इसमें भागीदारी की पुष्टि की है। पटना प्रशासन ने एहतियात के तौर पर अतिरिक्त पुलिस बल और नया ट्रैफिक प्लान तैयार किया है।
गोपाल खेमका केस: राहुल गांधी की संभावित मुलाकात से सियासत गरम
सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी पटना के बिजनेसमैन गोपाल खेमका के परिजनों से भी मिल सकते हैं। बता दें कि खेमका की पिछले हफ्ते रात में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या को लेकर राज्य में कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है, और विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है। राहुल गांधी की यह मुलाकात चक्का जाम के राजनीतिक प्रभाव को और तीव्र कर सकती है।
क्या है SIR प्रक्रिया, और क्यों हो रहा है विरोध?
चुनाव आयोग ने 24 जून से बिहार में विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण (SIR) की शुरुआत की है, जिसमें प्रत्येक मतदाता को नया फॉर्म भरना आवश्यक है और केवल 11 पहचान दस्तावेजों को ही मान्यता दी गई है। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया दलित, महादलित, प्रवासी और गरीबों को वोटर लिस्ट से बाहर करने का प्रयास है।
राहुल गांधी का लगातार सातवां बिहार दौरा
यह राहुल गांधी का पिछले पांच महीनों में सातवां बिहार दौरा होगा। इससे पहले वे जातीय जनगणना, छात्र आंदोलन और महागठबंधन की बैठक में शामिल हो चुके हैं। इस बार वे लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर ‘जन आंदोलन’ को धार देने पहुंचे हैं। कांग्रेस का कहना है कि यह केवल एक राजनीतिक विरोध नहीं बल्कि “लोकतंत्र की आत्मा की रक्षा का संघर्ष” है।
क्या होगा आगे?
कयास लगाए जा रहे हैं कि राहुल गांधी की अगुआई में राजभवन मार्च हो सकता है और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जा सकता है। महागठबंधन इस मुद्दे को पूरी तरह चुनावी मुद्दा बना चुका है, वहीं सत्ताधारी NDA इसे केवल एक राजनीतिक नौटंकी बता रही है।
9 जुलाई को बिहार की राजनीति एक निर्णायक मोड़ पर होगी — जब एक ओर पटना की सड़कें जाम होंगी, तो दूसरी ओर सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव अपने चरम पर होगा। राहुल गांधी की रणनीति, खेमका परिवार से मुलाकात और SIR के खिलाफ जनसैलाब – इन सबके मिलन से आने वाले चुनाव का परिदृश्य पूरी तरह बदल सकता है।