नेशनल डेस्क: 9 जुलाई 2025, बुधवार को पूरी दुनिया एक अनोखी खगोलीय घटना की साक्षी बनने जा रही है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आज पृथ्वी का दिन सामान्य 24 घंटे से कम रहेगा। इतिहास में यह पहली बार नहीं है, लेकिन इसे लेकर वैज्ञानिक समुदाय में गहन उत्सुकता देखी जा रही है।
पृथ्वी की रफ्तार क्यों बढ़ रही है?
वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी के घूमने की गति में यह तेजी कई कारकों की वजह से देखी जा रही है। इनमें पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का कमजोर होना, चंद्रमा की स्थिति, ग्लेशियर का पिघलना, और पृथ्वी के कोर में हो रही हलचलें शामिल हैं। इन सबका मिलाजुला प्रभाव पृथ्वी की धुरी पर घूमने की गति को प्रभावित कर रहा है।
‘परमाणु घड़ियों’ ने खोली सच्चाई
Liverpool University के भूभौतिकीविद रिचर्ड होल्मे के अनुसार, 2020 और 2022 में Atomic Clocks (परमाणु घड़ियों) के विश्लेषण से सामने आया कि पृथ्वी की रफ्तार बढ़ रही है। इन घड़ियों में परमाणुओं की कंपन का इस्तेमाल बेहद सटीक समय मापने के लिए होता है। पिछले साल 5 जुलाई को भी एक दिन 24 घंटे से थोड़ा कम रिकॉर्ड किया गया था।
क्या हमारे जीवन पर पड़ेगा असर?
इस बदलाव का असर सामान्य लोगों की दिनचर्या पर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह अंतर महज मिलीसेकंड में होगा। लेकिन GPS, सैटेलाइट सिस्टम और अंतरराष्ट्रीय टाइम ट्रैकिंग सिस्टम में सूक्ष्म गड़बड़ियां आ सकती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि भविष्य में इन परिवर्तनों को संतुलित करने के लिए Leap Second जैसे उपायों पर फिर से विचार करना पड़ सकता है।
घूर्णन में अस्थिरता बनी चिंता का कारण
एक औसत सौर दिन 86,400 सेकंड यानी 24 घंटे का होता है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि 2020 के बाद से पृथ्वी का घूर्णन अस्थिर हो गया है। भूकंप, महासागरीय धाराएं और आंतरिक हलचलें इस परिवर्तन की मुख्य वजह बन रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, आज के अलावा 22 जुलाई और 5 अगस्त को भी दिन सामान्य से 1.3 से 1.51 मिलीसेकंड छोटा हो सकता है क्योंकि उन दिनों चंद्रमा भूमध्य रेखा से सबसे अधिक दूरी पर होगा।