बिहार के Jehanabad में NH-83 पर हुए सड़क चौड़ीकरण के बाद एक अजीबोगरीब नजारा सामने आया है। नवनिर्मित बाइपास के बीचोंबीच कई पुराने पेड़ आज भी मजबूती से खड़े हैं। ये नजारा न सिर्फ आश्चर्यजनक है बल्कि दुर्घटनाओं की आशंका भी बढ़ा रहा है। इन पेड़ों को लेकर Forest Department ने अब स्थिति साफ की है और कारण बताया है कि इन्हें क्यों नहीं हटाया गया।
पेड़ हटाने की नहीं मिली अनुमति, पर्यावरण मंजूरी बाकी
वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग ने मंगलवार शाम को बयान जारी कर बताया कि जहानाबाद बाइपास क्षेत्र Protected Forest श्रेणी में आता है। इस वजह से पेड़ों की कटाई के लिए केंद्र सरकार के Ministry of Environment, Forest and Climate Change से अनुमति अनिवार्य है, जो अभी तक नहीं मिली है।
Forest (Conservation) Act, 1980 और Indian Forest Act, 1927 के तहत ऐसी जमीन पर पेड़ काटने से पहले प्रक्रिया पूरी करना अनिवार्य होता है। विभाग ने बताया कि Road Construction Department ने ज़रूर मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा था, लेकिन नियमों के अनुसार जितनी जंगल की ज़मीन ली जाएगी, उतनी ही गैर-जंगल ज़मीन की अदला-बदली जरूरी है। ये प्रक्रिया अधूरी है, इसलिए मंजूरी नहीं मिली।
बिना अनुमति चल गया निर्माण कार्य, अब कानूनी कार्रवाई
वन विभाग ने बताया कि सड़क निर्माण विभाग ने बिना अंतिम मंजूरी के ही सड़क चौड़ीकरण का कार्य शुरू कर दिया। इसी वजह से पेड़ बीच सड़क में छूट गए और अब वे सीधे-सीधे लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं।
अब इस मामले में विभाग ने Forest Conservation Act, 1980 और Indian Forest Act, 1927 के उल्लंघन को लेकर न्यायालय में केस दायर कर दिया है। स्थानीय वन अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि इन पेड़ों को लेकर ट्रैफिक में कोई बाधा या हादसा न हो, इसके लिए उचित कदम उठाए जाएं।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ दृश्य, लोग बोले- ‘ग्रीन डिवाइडर’
सड़क पर खड़े इन पेड़ों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। लोग इसे “ग्रीन डिवाइडर” का नाम दे रहे हैं और कई ने इसे बिहार की कार्यप्रणाली पर तंज कसते हुए पोस्ट किया है। वहीं कुछ यूजर्स ने कहा कि “कम से कम इस बहाने हरियाली तो बची हुई है।”
जब तक इस विवाद का समाधान नहीं होता, NH-83 से गुजरने वाले वाहन चालकों को सावधानीपूर्वक सफर करना होगा। यह सड़क अब एक “शेड वाला ऑब्सटेकल कोर्स” बन चुकी है।