बिहार की प्रतिष्ठित Patna University ने चार कॉलेजों में प्राचार्य की नियुक्ति के लिए इस बार लॉटरी सिस्टम अपनाया, जिससे विवाद खड़ा हो गया है। Dr. Suheli Mehta, जो Magadh Mahila College में Home Science की प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष (HoD) हैं, उन्हें Commerce College का प्राचार्य नियुक्त कर दिया गया। लेकिन डॉ. मेहता ने यह जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है।
पटना विश्वविद्यालय में यह प्रक्रिया 2 जुलाई 2025 को राजभवन के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में पूरी पारदर्शिता के दावे के साथ की गई। लॉटरी के जरिए Nagendra Prasad Verma को मगध महिला कॉलेज, Anil Kumar को पटना कॉलेज, Alka Yadav को पटना साइंस कॉलेज, और Yogendra Kumar Verma को पटना लॉ कॉलेज का प्राचार्य नियुक्त किया गया। लेकिन Suheli Mehta को Commerce College की जिम्मेदारी देना खुद उनके अनुसार एक “अनुचित” निर्णय है।
“मैं Commerce कॉलेज जॉइन नहीं करूंगी” – Dr. Suheli Mehta
डॉ. मेहता ने साफ किया कि वह Commerce College की जिम्मेदारी नहीं लेंगी। उन्होंने कहा, “मैंने Magadh Mahila College के प्राचार्य पद के लिए आवेदन किया था और मेरिट में मैं टॉप पर थी। मेरी विशेषज्ञता Home Science में है, ऐसे में मुझे एकदम अलग विषय वाले कॉलेज का प्राचार्य बनाना मेरी योग्यता के साथ अन्याय है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि Principal जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए “लॉटरी नहीं, बल्कि योग्यता और अनुभव” को प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी। इसी कारण उन्होंने नियुक्त पद को अस्वीकार करने का निर्णय लिया है।
शिक्षा विशेषज्ञों ने उठाए सवाल
शिक्षा विशेषज्ञों और कई वरिष्ठ शिक्षाविदों ने भी इस लॉटरी सिस्टम पर सवाल खड़े किए हैं। एक प्रोफेसर ने कहा, “जब Home Science की प्रोफेसर को Commerce College की जिम्मेदारी दी जाएगी तो शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।”
इसके अलावा, Magadh Mahila College जैसे महिला संस्थान में एक पुरुष प्राचार्य Nagendra Prasad Verma की नियुक्ति पर भी असंतोष जताया गया है। कई लोगों ने इसे महिला नेतृत्व के अवसरों को सीमित करने वाला कदम बताया।
पटना यूनिवर्सिटी में ‘योग्यता बनाम लॉटरी’ की बहस तेज
पटना यूनिवर्सिटी में अब यह सवाल चर्चा का केंद्र बन चुका है—क्या लॉटरी सिस्टम योग्यता से ज्यादा जरूरी हो गया है? डॉ. सुहेली मेहता का मामला इस बहस को और तेज कर रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या विश्वविद्यालय प्रशासन अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करता है या नहीं।