GST Slab Change: मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक! मिडिल क्लास को बड़ी राहत, सस्ते होंगे रोजमर्रा के सामान

12% GST Slab होगा खत्म? साबुन, जूते, कपड़े और खाने-पीने की चीजों पर टैक्स घटाने की तैयारी, जनता को मिलेगा सीधा फायदा

Manish
Gst Slab Change Modi Government Middle Class Relief
Gst Slab Change Modi Government Middle Class Relief (Source: BBN24/Google/Social Media)

Narendra Modi सरकार एक बार फिर मिडिल क्लास के लिए बड़ी सौगात की तैयारी कर रही है। GST यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के स्लैब में बड़ा बदलाव संभव है, जिससे करोड़ों आम लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। सूत्रों की मानें तो सरकार 12% GST स्लैब को खत्म करके या कम करके 5% में लाने पर विचार कर रही है।

अगर यह प्रस्ताव पास होता है, तो उन सभी रोजमर्रा की वस्तुओं पर टैक्स कम हो जाएगा जिन्हें मिडिल और लोअर इनकम ग्रुप सबसे ज़्यादा उपयोग करता है। इससे महंगाई की मार झेल रही जनता को सीधी राहत मिलेगी।

इन चीजों पर घट सकता है टैक्स, सस्ती हो जाएंगी जरूरी वस्तुएं

जानकारी के मुताबिक जिन वस्तुओं पर अभी 12% टैक्स लगता है, उनमें जूते-चप्पल, रेडीमेड कपड़े, मिठाई, साबुन, टूथपेस्ट, डेयरी प्रोडक्ट्स (पैक्ड पनीर, दूध, चीज), नमकीन, पास्ता, जैम, सूखे मेवे, छाते, टोपी, साइकिल, लकड़ी के फर्नीचर, पेंसिल, हैंडबैग और शॉपिंग बैग शामिल हैं। इन सभी को 5% टैक्स स्लैब में ट्रांसफर करने की तैयारी है, जिससे इनकी कीमतों में सीधा असर पड़ेगा।

GST काउंसिल की बैठक में हो सकता है फैसला

सूत्रों के अनुसार GST Council की 56वीं बैठक जुलाई के अंत तक हो सकती है। इस बैठक में केंद्र और राज्य सरकारों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं और सभी टैक्स स्लैब से जुड़े फैसले इसी मंच पर लिए जाते हैं। संभावना जताई जा रही है कि इसी बैठक में टैक्स स्लैब बदलाव पर चर्चा होगी और अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।

वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने दिए थे संकेत

मार्च 2025 में एक कार्यक्रम के दौरान वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने कहा था कि सरकार GST स्लैब्स को “rationalize” करने की दिशा में काम कर रही है। अब माना जा रहा है कि यही वह कदम है जिसका संकेत उन्होंने पहले ही दे दिया था। यदि 12% टैक्स स्लैब को खत्म कर 5% में लाया जाता है तो यह सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा और जनता को राहत मिलेगी।

चुनावी रणनीति भी हो सकती है यह राहत

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले मिडिल क्लास को साधने की रणनीति हो सकती है। इससे सरकार को आर्थिक रूप से तो फायदा मिलेगा ही, साथ ही जन समर्थन भी बढ़ेगा।

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