पटना हाईकोर्ट से मंगलवार को जब पूर्व विधायक अनंत सिंह को बहुचर्चित सोनू-मोनू गोलीकांड में जमानत मिली, तो मोकामा और बाढ़ क्षेत्र में उत्साह की लहर दौड़ गई। स्थानीय लोगों और समर्थकों ने ‘छोटे सरकार’ के समर्थन में सड़कों पर उतरकर गुलाल उड़ाया, पटाखे जलाए और सावन के महीने में ही होली और दिवाली का अद्भुत संगम देखनों को मिला।
क्या है सोनू-मोनू गोलीकांड मामला?
यह घटना 22 जनवरी 2025 की है, जब ईंट भट्ठा विवाद को लेकर सोनू और मोनू ने मुकेश सिंह पर 68 लाख की गबन का आरोप लगाते हुए घर पर ताला जड़ दिया। मुकेश ने अनंत सिंह से मदद ली और पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। जब अनंत सिंह अपने समर्थकों के साथ नौरंगा गांव पहुँचे, तो दोनों पक्षों के बीच सत्तर राउंड तक फायरिंग हुई।
अगले दिन यानी 23 जनवरी को फिर से गोलीबारी हुई और पुलिस ने मोनू को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया। वायरल वीडियो और जांच के आधार पर अनंत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज हुआ, जिसके बाद वे जनवरी 2025 से जेल में बंद थे।
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जमानत के बाद बाहर आने का रास्ता साफ
पटना हाईकोर्ट में जस्टिस चंद्रशेखर झा की बेंच ने मामले की सुनवाई के बाद अनंत सिंह को जमानत दे दी। इससे पहले इस केस के सह-आरोपी सोनू को भी जमानत मिल चुकी है। अब अनंत सिंह के जेल से बाहर आने का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।
राजनीतिक हलकों में हलचल, समर्थकों में उत्साह
जमानत की खबर फैलते ही मोकामा-बाढ़ इलाके में अनंत सिंह के समर्थकों में जबरदस्त जोश दिखा। लोगों ने जमकर आतिशबाज़ी की और गुलाल उड़ाकर अपने नेता की रिहाई की ख़ुशी जाहिर की। इस घटनाक्रम को लेकर बिहार की राजनीति में भी चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।
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मोकामा की राजनीति में ‘छोटे सरकार’ का दबदबा
अनंत सिंह का मोकामा की राजनीति में लंबा और प्रभावशाली इतिहास रहा है। वे वर्ष 2005 से लगातार विधायक रहे, हालांकि 2022 में अयोग्यता के चलते पद से हटाए गए, जिसके बाद उनकी पत्नी नीलम देवी उपचुनाव जीतकर विधायक बनीं।
चुनाव से पहले बड़ी राहत, बदलेगा सियासी समीकरण?
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले अनंत सिंह को मिली जमानत राजनीतिक रूप से बेहद अहम मानी जा रही है। उनके बाहर आने से मोकामा समेत आस-पास की सीटों पर समीकरण बदल सकते हैं। समर्थक इसे एक नई शुरुआत के रूप में देख रहे हैं।