आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर बिहार सरकार ने लाइसेंसी हथियारों के दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने न सिर्फ गोलियों की वार्षिक खरीद सीमा को घटाकर 50 कर दिया है, बल्कि उन लाइसेंस धारकों पर भी कार्रवाई शुरू कर दी है जो हथियारों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
गोलियों की खरीद पर नई सीमा लागू
अब तक लाइसेंसी बंदूकधारी साल में 200 गोलियां खरीद सकते थे, लेकिन अब यह सीमा घटाकर 50 गोलियां कर दी गई है। इसका उद्देश्य ब्लैक मार्केट में हो रही अवैध बिक्री को रोकना है।
NDAL-ALIS पोर्टल पर अनिवार्य पंजीकरण
सभी लाइसेंस धारकों को अपने हथियारों का विवरण NDAL-ALIS पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकृत करना अनिवार्य किया गया है। साथ ही, नई गोलियां खरीदने से पहले पुरानी गोलियों के खोल (used shells) जमा करने और उपयोग प्रमाणपत्र लेना जरूरी होगा।
हथियार दुकानों की नियमित जांच
अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे हथियार की दुकानों और फैक्ट्रियों से स्टॉक की जानकारी लें। जो दुकानें बंद पाई जाएंगी या नियमों का पालन नहीं करेंगी, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
जिलों में बनेगी निगरानी समिति
हर जिले में जिला अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाएगी, जो तीन महीने में एक बार सभी लाइसेंस और दुकानों की समीक्षा करेगी। इसके अलावा, उच्च स्तर पर हर छह महीने में इसकी जांच की जाएगी।
3,600 से अधिक अवैध हथियार हर साल होते हैं जब्त
बिहार पुलिस के मुताबिक हर साल औसतन 3,600 अवैध हथियार और 17,000 गोलियां बरामद की जाती हैं। इनमें कई गोलियां वैध दुकानों से निकलकर ब्लैक मार्केट में पहुंचती हैं।
बिहार सरकार का यह सख्त प्लान उम्मीद है कि चुनावी माहौल में हथियारों के दुरुपयोग को रोकने में मदद करेगा और कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाएगा।