बिहार पुलिस की कार्यशैली और भरोसे को शर्मसार करने वाली एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। गया जिले के बोधगया थाना क्षेत्र में एक डकैती की वारदात में उत्पाद विभाग का दारोगा अंजनी कुमार मुख्य आरोपी के रूप में सामने आया है। उनके साथ तीन निजी चालक – दिलीप कुमार, अजीत कुमार और दीपक कुमार को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है।
घर में घुसकर की डकैती, बच्चों को बनाया निशाना
यह घटना टीका बिघा गांव की है, जहां वादी चंदन कुमार के घर पर आठ दिन पहले चार लोग जबरन घुसे और बच्चों को धमकाकर दो लाख रुपये नकद और सोने की चेन लूट ली। उस वक्त घर में सिर्फ बच्चे मौजूद थे। पूरा घटनाक्रम घर में लगे सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गया। जब पुलिस ने गुरुवार को बच्चों के सामने आरोपियों को पेश किया, तो एक आरोपी को उन्होंने तुरंत पहचान लिया, जो पिंक शर्ट पहने हुए था।
आठ दिन बाद हरकत में आई पुलिस, एसपी ने खुद संभाली कमान
पीड़ित चंदन कुमार ने बताया कि घटना के वक्त वे और उनकी पत्नी घर पर नहीं थे। शिकायत के बावजूद पुलिस ने कोई तुरंत कार्रवाई नहीं की। आखिरकार आठ दिन बाद बोधगया पुलिस और एसडीपीओ सौरव जयसवाल ने मौके पर पहुंचकर आरोपियों से आमने-सामने पूछताछ की।
गया सिटी एसपी रामानन्द कुमार कौशल ने भी मामले को गंभीरता से लिया और देर शाम घटनास्थल पर पहुंचकर जांच की। चारों आरोपियों से गहन पूछताछ की गई, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि इस पूरी साजिश के पीछे खुद विभाग का अधिकारी ही शामिल था।
क्या सिस्टम पर उठ रहे सवालों के मिलेंगे जवाब?
दारोगा अंजनी कुमार पर लगे आरोप न केवल उत्पाद विभाग की छवि को धूमिल करते हैं, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करते हैं कि कानून के रक्षक ही अगर कानून तोड़ने लगें तो जनता किस पर भरोसा करे?
अब सवाल ये है:
- क्या दारोगा अंजनी कुमार जैसे अपराधी सिस्टम से बाहर होंगे?
- क्या चंदन कुमार और उनके बच्चों को न्याय मिलेगा?
- क्या उत्पाद विभाग आंतरिक जांच कर इस साजिश की गहराई तक जाएगा?
बिहार में वर्दीधारी अपराधियों के बेनकाब होने का यह एक बड़ा मामला है, जो कानून व्यवस्था की साख पर गंभीर सवाल छोड़ गया है।