बिहार की राजधानी पटना में गुरुवार को उस वक्त हालात बेकाबू हो गए जब शिक्षक भर्ती (TRE-4) से पहले STET परीक्षा कराने की मांग को लेकर हज़ारों की संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए। जुलूस निकालते वक्त पुलिस ने उन्हें जेपी गोलंबर के पास रोक दिया, लेकिन जब प्रदर्शनकारी आगे बढ़ने लगे तो पुलिस ने दौड़ा-दौड़ाकर लाठीचार्ज कर दिया। इस हिंसा में कई छात्र-छात्राएं घायल हो गए। महिला प्रदर्शनकारियों को भी नहीं बख्शा गया।
TRE-4 से पहले STET की मांग क्यों?
बिहार सरकार की ओर से हाल ही में TRE-4 और TRE-5 शिक्षक भर्ती का ऐलान किया गया है, जिसमें डोमिसाइल नीति भी लागू करने की बात कही गई है। लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे छात्र-छात्राएं हैं जिन्होंने अभी तक STET या TET पास नहीं किया है। ऐसे में वे इस भर्ती प्रक्रिया से वंचित रह सकते हैं। इन्हीं छात्रों की मांग है कि TRE-4 से पहले STET परीक्षा कराई जाए ताकि सभी को समान अवसर मिल सके।
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प्रदर्शन में 15,000 छात्र पहुंचे पटना
राज्य के विभिन्न जिलों से करीब 15,000 अभ्यर्थी पटना पहुंचे थे। वे पटना कॉलेज से डाकबंगला चौराहे की ओर जुलूस निकाल रहे थे। इसी दौरान पुलिस ने जेपी गोलंबर के पास बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया। जब कुछ छात्र आगे बढ़ने लगे तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया।
“हमें सड़कों पर उतरने को मजबूर किया गया”
प्रदर्शन कर रही एक महिला अभ्यर्थी खुशबू पाठक ने बताया, “हमें पुलिस ने लाठियों से मारा, धक्का देकर गिरा दिया। हमारे कई साथी घायल हुए हैं, कुछ को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हमारी मांग सिर्फ इतनी है कि STET पहले कराया जाए, ताकि हम भी TRE-4 में आवेदन कर सकें।”
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पुलिस की सफाई: “हल्का बल प्रयोग किया गया”
मौके पर मौजूद पुलिस पदाधिकारियों का कहना है कि प्रदर्शन के कारण सड़क जाम हो रहा था, जिससे आम जनता को परेशानी हो रही थी। प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए हल्का बल प्रयोग किया गया। उन्हें डेलिगेशन बनाकर बात करने का विकल्प दिया गया था, लेकिन वे नहीं माने।
मुख्य सचिव ने दिया भरोसा
प्रदर्शन के बाद अभ्यर्थियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा से मुलाकात की। उन्होंने आश्वासन दिया कि छात्रों के साथ न्याय होगा और सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करेगी।
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STET से वंचित छात्रों के लिए शिक्षक भर्ती का मौका एक बड़ी उम्मीद है, लेकिन यदि परीक्षा पहले नहीं हुई तो यह अवसर उनके हाथ से निकल सकता है। ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह छात्रों की मांगों को गंभीरता से सुने और समाधान निकाले। प्रदर्शन और लाठीचार्ज का रास्ता किसी के लिए भी उचित नहीं।